https://youtu.be/iYS98ZtpRTU
यूँ ही एक सामयिक रचना : ये धरती पावन और पुनीत
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ये धरती पावन और पुनीत
ये धरती सुंदर सा है गीत
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती लिए स्वर्ण अतीत
जहां पर निर्भय विचरे प्रीत
ये धरती अखिल विश्व का मीत
जहां का अद्भुत है संगीत
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती गंगा-यमुना की
ये धरती लोहित-क्षिप्रा की
ये धरती सरित-नर्मदा की
ये धरती सतलुज-कृष्णा की
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती राम और सीता की
ये धरती राधा-कान्हा की
ये धरती गांधी-बुद्धा की
ये धरती काशी-अयोध्या की
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती बुंदेलों की है
ये धरती चंदेलों की है
ये धरती प्रतिहारों की है
ये धरती हम सारों की है
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती हज़रत वालों की
नहीं ये नफरत वालों की
ये धरती हसरत वालों की
ये धरती उल्फ़त वालों की
क्यों तुमने खार बो दिए
यहाँ हैं मंदिर और शिवाले
यहाँ हैं आज़ानों के पाले
यहाँ हैं गुरुओं के जियाले
यहाँ हैं ईसा के मतवाले
यहाँ हैं जैन समर्पण वाले
यहाँ हैं बुद्ध के भी रखवाले
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती तुकाराम की है
ये धरती रवि दास की है
ये धरती कबिरा जी की है
ये धरती तुलसी जी की है
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती मोमिन पीरों की
ये धरती सिद्ध फकीरों की
ये धरती अद्भुत वीरों की
ये धरती कुंदन हीरों की
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती पालनकर्ता है
ये धरती आश्रय कर्ता है
ये धरती विघ्न की हर्ता है
ये धरती तम की हर्ता है
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती नहीं थी बाबर की
ये धरती नहीं थी अकबर की
ये धरती नहीं है बर्बर की
ये धरती हरि और हर-हर की
क्यों तुमने खार बो दिए
ये धरती सप्त सिंधु की है
ये धरती धर्म बिन्दु की है
ये धरती कर्म बिंदु की है
ये धरती विश्व बंधु की है
ये धरती सहज हिंदु की है
क्यों तुमने खार बो दिए
सुधेन्दु ओझा
7701960982/9868108713