ऐलोपैथ डॉक्टरों और योग गुरु स्वामी रामदेव के बीच जारी विवाद अभी थमता नजर नहीं आ रहा है। दिल्ली सहित देशभर के सभी डॉक्टर रामदेव को गिरफ्तार करने की मांग पर अड़े हैं।
योग गुरु द्वारा ऐलोपैथी के संबंध में दिए गए बयान से नाराज फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने मंगलवार को राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत दिल्ली में प्रदर्शन कर रामदेव से सार्वजनिक रूप से माफी की अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
फोर्डा के अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शन का आह्वान 29 मई को किया गया था, इसमें बताया गया था कि आंदोलन के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होने दी जाएंगी।
फोर्डा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वामी रामदेव की टिप्पणियों के विरोध में हमारा प्रदर्शन मंगलवार सुबह शुरू हुआ। अधिकारी ने कहा कि वह तो ऐलोपैथी के बारे में बोलने तक की योग्यता नहीं रखते हैं। उनके बयान से डॉक्टरों का मनोबल कम हुआ है जो (कोविड-19) महामारी से हर दिन लड़ रहे हैं। हमारी मांग है कि वह बिना शर्त सार्वजनिक रूप से माफी मांगें अन्यथा महामारी रोग अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
उन्होंने बताया कि सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज-अस्पताल, हिंदूराव अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, बी.आर. अंबेडकर अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) इस आंदोलन में शामिल हो चुके हैं तथा कुछ अन्य भी शामिल होने वाले हैं।
फोर्डा के अधिकारी ने बताया कि विरोध स्वरूप कई डॉक्टरों ने अपने बाजू पर काली पट्टी बांधी है। अन्य शहरों के डॉक्टर भी आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान कुछ डॉक्टरों ने विरोध संदेश लिखे प्लेकार्ड ले रखे थे, जबकि अन्य ने ऐसे पीपीई किट पहने थे जिसके पीछे ‘काला दिवस’ प्रदर्शन लिखा था। देशव्यापी प्रदर्शन की घोषणा फोर्डा ने शनिवार को की थी।
बयान में कहा गया है कि हम उनसे बिना शर्त सार्वजनिक माफी या महामारी रोग अधिनियम, 1897 की संबंधित धाराओं के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं।
फोर्डा ने यह भी आरोप लगाया है कि रामदेव के बयान ने लोगों में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट पैदा कर दी है। वर्तमान में देश में COVID-19 के खिलाफ टीकाकरण चल रहा है। इसकी शुरुआत 16 जनवरी से हुई थी।
बीते दिनों वायरल हुई एक वीडियो क्लिप में रामदेव को कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल उठाते हुए देखा और यह कहते हुए सुना गया था कि “लाखों लोग COVID-19 के इलाज के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से मर चुके हैं”।
इस टिप्पणी का जोरदार विरोध हुआ था, जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी पत्र लिखकर स्वामी रामदेव के बयान को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए उनसे यह बयान वापस लेने को कहा था।
इसके एक दिन बाद, योग गुरु ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक “खुले पत्र” में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) से 25 प्रश्न पूछे थे, जिसमें पूछा गया था कि क्या एलोपैथी ने बीमारियों से स्थायी इलाज दिया है।