उच्च न्यायालय ने देश में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए टीका की कमी और इस मसले पर केंद्र सरकार के अधिकारियों के कामकाज के रवैये पर नाराजगी जाहिर की है। न्यायालय ने कहा कि महामारी के इस आसाधरण समय में जब लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए टीका की जरूरत है है तो केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी क्षमता है उसका लाभ विदेशी नहीं ले जाएं।
जस्टिस मनमोहन और नज्मी वजीरी की पीठ ने केंद्र से कहा कि सामान्य समय में अधिकारी अपने वातानुकुलित दफ्तर में आराम से बैठ सकते हैं, लेकिन अभी नहीं। पीठ ने कहा कि अधिकारियों को कल्पनाशीलता के साथ काम करना होगा। पीठ ने कहा कि अधिकारियों को मामले की गंभीरता को समझते हुए संवेदनशीलता के साथ त्वरित निर्णय करना होगा।
न्यायालय ने सरकार से कहा कि आपके अधिकारी दफ्तर से निकलते नहीं है, दुनिया में क्या चल रहा है, इसके बेखबर हैं। न्यायालय ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए भारत में टीका बनाने वाली दो कंपनियां पर्याप्त आपूर्ति करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं है। पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि उसे पेनासिया बायोटेक को स्पुतनिक वी टीके के नमूने को मंजूरी देने में तेजी लाने चाहिए। पेनासिया बायोटेक ने रसियन डाइरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड के साथ स्पुतनिक वी. टीका बनाने के लिए करार किया है।
न्यायालय ने मामले में केंद्र सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि हम इस बात से हैरान हैं कि सरकार के अधिकारी कह रहे हैं कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं की कंपनी क्या कर रही है और स्पुतनिक के साथ क्या करार हुआ है। न्यायालय ने केंद्र से कहा कि आपके अधिकारी घटनाक्रम से बेखबर हैं, उन्हें जमीन पर रहना होगा।
पीठ ने कहा कि ये कोई साधारण नहीं बल्कि असाधारण परिस्थितियां हैं, आपके अधिकारियों को यह पता होना चाहिए कि वैक्सीन का उत्पादन किया जा रहा है जिसका उपयोग लाखों लोगों की जान बचाने के लिए किया जाएगा। पीठ ने कहा कि सामान्य समय में अधिकारी अपने वातानुकूलित कमरे बैठकर आराम कर सकते हैं, लेकिन अभी इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।
पीठ ने कहा कि कोरोना ने देशभर में किसी परिवार को नहीं बख्शा है। पीठ ने कहा कि यह बहुत गंभीर है, आप आज मानव जीवन बचा रहे हैं, ये उन्हें (अधिकारियों) समझना चाहिए कि लोग मर रहे हैं। पीठ ने दिल्ली की पेनासिया बायोटेक की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है। कंपनी ने याचिका में जुलाई 2020 के उस आदेश को संशोधित करने की मांग की है जिसके द्वारा फर्म ने करोड़ो रुपये के मध्यस्थता अवार्ड संबंध में उनके द्वारा स्थापित निष्पादन कार्यवाही पर मुकदमा नहीं चलाने का वचन दिया था।
इस मामले में कंपनी के पक्ष में और सरकार के खिलाफ फैसला आया था। कंपनी ने अब नये सिरे से दाखिल याचिका में मध्यस्था (अब्रिट्रेशन) अवार्ड के (पैसा) उसे मानवता के बड़े हित में जल्द से जल्द आवश्यकता है क्योंकि उसने पहले ही आरडीआईएफ के सहयोग से कोरोना टीका स्पुतनिक वी के परीक्षण बैचों का निर्माण किया है और विनिर्माण पैमाने की प्रक्रिया-चालू है।
उच्च न्यायालय में कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा था कि यदि सरकार ने मध्यस्था अवार्ड के तहत पैसा नहीं दिया तो टीका बनाने का उसका का पूरी तरह से प्रभावित होगा। सेठी ने कहा कि इससे टीका बनाने में देरी होगा जो कि देशहित और मानवता के हित में नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी स्पुतनिक वी. टीका बना रही है जिसे भारत सरकार ने आयात के लिए मंजूरी दी है, तो फिर इसमें परेशानी क्या है।
न्यायालय ने कहा कि हमें अपनी जरूरतों और तात्कालिकता को समझने की जरूरत है। मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने पीठ को बताया कि मामले की जांच करने पर उन्हें पता चला है कि कंपनी में पूंजी का निवेश रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) द्वारा प्रदान किया जा रहा है और कंपनी द्वारा तैयार टीके नमूने का परीक्षण को स्वीकृति नहीं दी गई है। उन्होंने आरडीआईएफ और डॉ रेड्डीज द्वारा हाल ही में दिए गए एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि पेनासिया को अभी लाइसेंस भी नहीं मिला है। अब इस मामले की सुनवाई 2 जून को होगी।