मरुस्थल सा जीवन है मेरा पूर्णतया निराशा भरा,
फिर भी कभी-कभी कुछ ओश की बूंदों से मिलता हूँ।
सोचता हूँ , समेट लू सबको अपनी आगोश में,
मेरे गर्म एहसास से मिलकर बूंदे भाँप बन उड़ जाती है।
गर्म रेतीले मरुस्थल सा मौन जीवन के साथ चल रहा है।
कभी-कभी शाम की ठंडी हवा के मुखर झोंके से मिलता हूँ।
सोचता हूँ , तोड़ दूँ सारी बंदिशे अपने मरुस्थल होने की,
बस इन गुदगुदाती ठंडी मुखर हवाओं में अविरल बहता जाऊँ।
नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ). मोबाइल 09582488698
65/5 लाल क्वार्टर राणा प्रताप स्कूल के सामने ग़ाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश 201001