चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) ने शनिवार सुबह पुष्टि की है कि चीनी अंतरिक्ष यान तियानवेन -1 ने देश के पहले जुरोंग रोवर को शनिवार को मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक उतारा है। तियानवेन -1 वहां मंगल ग्रह की सतह और वहां के वातावरण की जांच करेगा। बता दें कि इसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल है। यह रोवर 23 जुलाई 2020 में लॉन्च किया गया था और फरवरी में इसने मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया था।
तियानवेन-1 मंगल ग्रह पर चीन का पहला स्वतंत्र मिशन है। सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यह किसी मिशन में मंगल ग्रह पर परिक्रमा, लैंडिंग और चक्कर लगाने के उद्देश्य से सौर मंडल में ग्रहों की खोज में चीन का पहला कदम था। 1960 के बाद से किया गया दुनिया का यह 46वां मिशन है।
अंतरिक्ष के जरिए लगभग सात महीने की यात्रा के बाद इस अंतरिक्ष यान ने फरवरी में मंगल की कक्षा में प्रवेश किया, और संभावित लैंडिंग स्थलों का सर्वेक्षण करने में दो महीने से अधिक समय बिताया।
रोवर का वजन लगभग 240 किलोग्राम है, इसमें छह पहिए और चार सौर पैनल हैं, और यह 200 मीटर प्रति घंटे की गति से चलने में सक्षम है। इसमें एक मल्टी-स्पेक्ट्रल कैमरा, ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार और एक मौसम संबंधी मापक सहित छह वैज्ञानिक उपकरण हैं, और ग्रह पर इसके लगभग तीन महीने काम करने की उम्मीद है।
संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और चीन के अंतरिक्ष यान ने हाल ही में मंगल की कक्षा में प्रवेश किया है। नासा का परसेवरेंस रोवर लगभग सात महीने की यात्रा के बाद 18 फरवरी को ग्रह पर उतरा।
तब से, इसने अपनी लैंडिंग साइट, जेज़ेरो क्रेटर के आसपास से कुछ तस्वीरों को भी भेजा है। इसने लाल ग्रह का पता लगाने के लिए एक हेलीकॉप्टर भी उड़ाया है। इससे पहले अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ और भारत मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान भेजने में सफल रहे हैं। भारत पहला एशियाई देश बन गया जिसने 2014 में अपने अंतरिक्ष यान को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक भेजा।