निजी अस्पताल और निजी एंबुलेंस के खिलाफ जिला कंट्रोल रूम को रोजाना शिकायतें मिलने लगी हें। शनिवार को भी कई लोगों ने फोन कर और व्हाट्सएप पर शिकायत दर्ज कराई। कुछ ने साक्ष्य भी दिए जबकि कुछ ने बाद में देने की बात कही। जिसने तुरंत साक्ष्य दिए, उस केस पर कार्रवाई के लिए धावा दल को शिकायत दे दी गई।
निजी लैब और जांच घर में मनमाना शुल्क लेने की भी शिकायत आई। निजी एंबुलेंस,लैब और निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों के इलाज,जांच और परिवहन के लिए किराया और दर निर्धारित होने के बाद नियंत्रण कक्ष को लगातार शिकायतें मिल रही हैं। उन शिकायतों का निपटारे के लिए जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर्र ंसह ने दो धावा दल भी गठित किया है जो शिकायत मिलते ही कार्रवाई शुरू कर दे रही है। अभी तक पांच निजी अस्पताल और दो एंबुलेंस वालों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। बवजूद इसके इस महामारी में निजी अस्पताल वाले मरीजों को इलाज कम उन्हें लूटने पर लगे हुए हैं। ऐसी ही कई शिकायतें जिला नियंत्रण कक्ष को शनिवार को भी मिली हैं। जिसपर कार्रवाई शुरू हो गई हैं।
नियंत्रण कक्ष
नंबर 0612-2219810,
व्हटसएप नबर 6287590563
भर्ती के लिए 75 हजार एडवांस मांग की
शनिवार शाम चार बजे जिला नियंत्रण कक्ष को किदवईपुरी से मरीज पंकज सिंह के परिजन ने नियंत्रण कक्ष को फोन करके शिकायत की। परिजन ने नियंत्रण कक्ष के पदाधिकारी को बताया कि मरीज को जब निजी पुष्पांजलि अस्पताल में भर्ती के लिए बात की तो अस्पताल वाले ने पहले 75000 रुपये एडवांस में जमा करने को कहा। फिर प्रत्येक दिन 25000 रुपये चार्ज करने की बात की। सरकार द्वारा निर्धारित दर से कहीं अधिक निजी अस्पताल वाले मरीजों से पैसा वसूल रहे हैं। इतनी राशि मांगे जाने पर अपने मरीज को वहां नहीं ले जाकर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया है। नियंत्रण कक्ष की ओर से यह शिकायत धावा दल को बतायी गई। जिसके बाद धावा दल ने अस्पताल जाकर जांच शुरू कर दी है।
एक से दूसरे अस्पताल जाने के लिए 19000 रुपये
जिला नियंत्रण कक्ष का व्हटसएप नंबर पर दिन के 11 बजकर 54 मिनट पर गर्दनीबाग से प्रतिमा कुमारी ने फोन किया। नियंत्रण कक्ष में तैनात उप समाहत्र्ता ने कॉल उठाया। पीड़िता ने कहा कि सर बड़ी हिम्मत करके आपको फोन किया है। आज ही अखबार में नियंत्रण कक्ष का नंबर देख था। एक निजी एंबुलेस वाले ने मजबूरी का लाभ उठाते हुए 19000 रुपये लिए हैं। पटना में ही एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल को अपने पति को ले जाने के लिए एंबुलेंस वाले से बात की थी। पहले तो उसने 25000 रुपये की मांग की। बड़ी मिन्नत के बाद वो 19 हजार रुपये लिया तब मेरे पति को दूसरे अस्पताल में पहुंचाया। मेरे पति अब नहीं रहे हैं। घर में मैं और एक बच्चा हैं। यह घटना 21 अप्रैल को हुई थी। नियंत्रण कक्ष के अधिकारी ने पीड़िता की शिकायत दर्ज की। पीड़िता से एंबुलेंस वाहन का नंबर मांगा। पीड़िता ने वाहन का नंबर भी दिया है। नियंत्रण कक्ष में बताया गया कि आपसे जो अत्यधिक राशि वसूली है, उसपर कार्रवाई होगी। जिसके बाद एंबुलेंस को ट्रेस करने के लिए धावा दल को वाहन का नंबर दे दिया गया।
एक लाख रुपये देना पड़ेगा
सगुना मोड़ के अंशु कुमार ने शिकायत की है कि रुपसपुर स्थित अस्पताल ने कोविड मरीज की भर्ती के लिए एक लाख रुपये की मांग की। मरीज के परिजनों द्वारा बताया गया कि सरकार द्वारा निर्धारित राशि से अधिक है लेकिन निजी अस्पताल के कर्मी सुनने को तैयार नहीं। आखिर में मरीज को उनके परिजनों में उक्त निजी अस्पताल में भर्ती नहीं कराया और सरकारी अस्पताल में ले जाकर मरीज को भर्ती किया। परिजन ने बताया कि कोविड महामारी में प्राइवेट अस्पताल वाले जिस प्रकार लूट मचाए हुए हैं, उनपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
जांच के लिए ले रहे तीन से चार गुना अधिक
समय करीब सवा 12 बजे र्बोंरग रोड से नियंत्रण कक्ष को एक कॉल आया। यह प्रो. संदीप कुमार ने की थी। प्रोफेसर ने नियंत्रण कक्ष को बताया कि निजी लैब वाले मनमाना पैसा वसूल रहे हैं। एएन कॉलेज के सामने निजी जांचघर है। यहां का कर्मी सिटी स्कैन के लिए 5000 रुपये मांग रहा है। यहां पर जितने लोग आ रहे हैं सिटी स्कैन, रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटीपीसीआर से जांच कराने के लिए उन सभी तय दर से दो से चार गुना अधिक राशि वसूल रहे हैं। लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। नियंत्रण कक्ष के पदाधिकारी ने शिकायतकर्ता की बात सुनी और शिकायत को दर्ज कर धावा दल को दे दिया गया। उक्त निजी लैब के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है।