क्या आप कार खरीदने की सोच रहे हैं। भारत में जितने लोग नई कार खरीदते हैं, उससे कहीं ज्यादा संख्या ऐसे ग्राहकों की है जो सेकेंड हैंड कार लेते हैं। पुरानी कार खरीदना ज्यादा सस्ता तो पड़ता ही है, साथ ही समय के साथ इसकी कीमत भी नई कार के मुकाबले कम गिरती है। पुरानी कार खरीदने के फायदों के बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं। ऐसे में अगर आपने सेकेंड हैंड कार खरीदने का मन बना लिया है तो आज हम आपको कुछ जरूरी बातें बताने वाले हैं। यहां हम आपको उन 5 चीजों के बारे में बताएंगे जो आपको पुरानी कार खरीदते समय (5 tips for buying a used car) ध्यान रखनी है।
1. कैसी कार लेनी है?
अगर आप बिना कुछ तय किए एक कार लेने जाएंगे तो हो सकता है आप एक ऐसी कार ले आए जो आपकी जरूरतों को पूरा ना करती हो। इसलिए जरूरी है कि सबसे पहले आप यह तय कर ले कि आपको कैसी कार लेनी है। कुछ ग्राहक सिर्फ एक हैचबैक कार लेना चाहते हैं, कुछ को एक फैमिली कार चाहिए तो कोई एसयूवी खरीदना चाहता है।
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2. बजट कितना है?
दूसरी सबसे जरूरी चीज है आपका बजट। कार की खोजबीन करने से पहले अपनी जरूरत और पॉकेट के हिसाब से एक बजट तय कर लें। बिना बजट तय किए कार लेने से आप गलत ऑप्शन चुन सकते हैं। सेकेंड हैंड कारों का एक फायदा यह भी है कि आपको लगभग हर बजट में कार मिल जाती है।
3. कार की कर लें पूरी जांच
जब आपको कोई कार पसंद आ रही हो तो तुरंत डील फाइनल न करें। सबसे पहले कार की पूरी जांच पड़ताल कर लें। हो सतका है कार बाहर से तो बढ़िया दिख रही हो, लेकिन उसका इंजन उतना बढ़िया ना हो। कार को कम से कम 10 किमी. चलाकर देखें। अगर आपकी जान-पहचान का कोई मकैनिक है, तो उसे भी अपने साथ लेकर जाएं।
4. इन टेक्नीकल डीटेल्स पर भी दें ध्यान
कार का इंजन चेक कर लिया? अब उसके Odometer, Speedometer और दूसरी डीटेल्स को चेक कर लें। यह भी चेक करें कि कहीं ओडोमीटर के साथ कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई? कार की कीमत इस बात पर भी निर्भर करती है यह कितने किलोमीटर चलाई गई। कार के बॉडी स्क्रैच को भी चेक कर लें।
5. कार की हिस्ट्री का पता करें
कार की हिस्ट्री चेक ना करना भी एक ऐसी गलती है जिससे आपको बचना चाहिए। अगर आप कार को मारुति सुजुकी ट्रू वैल्यू या महिंद्रा फर्स्ट चॉइस जैसे एक ऑथराइज्ड सेलर से खरीद रहे हैं, तो आमतौर पर आपको कार के रिकॉर्ड दिखाए जाएंगे। लेकिन अगर आप एक व्यक्तिगत विक्रेता/मालिक से कार खरीद रहे हैं, तो कार हिस्ट्री के बारे में पूछें और सभी डॉक्यूमेंट को चेक करें, खासकर इसके कितने ऑनर रहे हैं। आप कार के इंश्योरेंस नंबर के जरिए इसके एक्सिडेंट क्लेम और दूसरे रिकॉर्ड भी जांच सकते हैं।