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“युग के युवा,मत देख दाएं
और बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलें
न अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है
देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रण
सामने तेरे पड़ा, युग का जुआ “
युग का जुआ युवाओं को अपने कंधों पर लेने की हुंकार देने वाले कविवर हरिवंश राय बच्चन अपने अध्यापन के दिनों में डिग्री लेकर पास आउट हो रहे युवाओं से कहते थे “गो आउट फ्रॉम कालेज,सर्व योर कंट्री,सर्व यूअर कंट्री मेन, कंट्री नीड यू”। लेकिन आजकल कुछ लोगों ने कुछ लड़कों को उकसा रखा है कि दिन रात रटते रहो कि कागज़ नहीं दिखाएंगे।
लड्डन आजकल बहुत परेशान हैं ,लड़के को लेकर रोज ब रोज कॉलेज से नोटिस आ रहे हैं कि उनका लड़का मिल्टन लड़का होमवर्क नहीं करता है ,होमवर्क ना करने का कारण पूछने पर कहता है कि “होमवर्क तो कर लिया है ,मगर कागज़ नहीं दिखाएंगे”और ये भी कहता है कि ना तो कागज़ दिखाएंगे और ज्यादा दबाव बनाओगे तो धरने पर बैठ जाऊँगा और इस कालेज से आज़ादी की मांग करने लगूंगा।कालेज प्रबंधन काफी डरा सहमा है कि मिल्टन और उसके साथी कोई नया स्यापा ना खड़ा कर दें।सो उन्होंने लड्डन से कहा कि वो आयें और भटके हुए युवा मिल्टन को समझाएं कि विद्यालय में शिक्षा,संस्कार के अलावा कुछ नहीं मिलता ,ये सब भी विनयावत होकर मिलता है ,छीनने पर नहीं।लड्डन वैसे ही दुखी थे ,थके हारे विद्यालय पहुंचे,वहां लड़के की सारी कारस्तानियां सुनीं ,और ये भी सुना कि पिछले छह महीने से लड़के ने विद्यालय में फीस नहीं जमा की है ।लौट के लड्डन घर आये ,लड़के के सारे पंगे उनको पहले से पता थे ,उससे उनको कोई ख़ास उज्र ना था आखिर लड़का तो उन्हीं का था ,सो कैसे ना रंग दिखाता। अब तक लौंडा दूसरों पर वार कर रहा था तो उन्हें कोई ख़ास फर्क ना था लेकिन फीस का घपला सीधे सीधे उनकी जेब पर था ।लड्डन तिलमिला उठे ,लड़के से बहुत पूछा,बहुत कुरेदा और अंत में बहुत ठोंका ।लेकिन लड़का अपनी बात पर अडिग रहा कि “फीस तो जमा है,मगर कागज़ नहीं दिखाएंगे”।लड्डन सर पकड़ कर बैठ गए।लड़के का मुंह सूज गया,गाल लाल हो गया लेकिन उसने दवा -दारु की शरण लेने के बजाय तुरंत अपनी चोट वाली सेल्फी ली और फेसबुक,इंस्टाग्राम,ट्विटर,व्हात्सप्प पर अपलोड कर दी और साथ में नीचे लिख दिया “कागज़ नहीं दिखाएंगे”।उसका ऐसा करना था कि धड़ाधड़ लाइक, कमेंट,की बौछार होने लगी ।मीडिया के कुछ लोग खोजते खोजते लड्डन के घर पहुंच गए और मिल्टन से बाइट ली।देखते ही देखते मिल्टन की फोटो की तरह ,उसकी बाइट भी वायरल हो गयी ।जिस मिल्टन को लड्डन गधा कहकर संबोधित करते थे वो अब यंग सेंसेशन बन चुका था।फीस के गोलमाल का मुद्दा यथावत था ,लड्डन फीस के पैसे दुबारा भरने को सोचते तो उन्हें बड़ी पीड़ा होती मगर बेटे की तरक्की देखकर वो इस पीड़ा को दबा गये।फीस की पीड़ा विद्यालय वालों को भी थी थी लेकिन मिल्टन की तरक्की से वो भी सहम गये और फीस को भी भूल जाना ही बेहतर समझा क्योंकि मिल्टन खुद तो कोई कागज़ दिखाता नहीं मगर विद्यालय वालों से ना जाने कौन -कौन सा कागज़ मांग लेता । मिल्टनको सन्देश भिजवा दिया कि वो फीस जैसी मामूली चीज भूल जाएं क्योंकि मिल्टन जैसा गैर मामूली इंसान उनके संस्थान में पढ़ता है ,साथ में ये भी कहलवाया कि क्लास की अटेंडेंस,टर्म एग्जाम,इत्यादि की चिन्ता कतई ना करें कभी कभार विद्यालय में पधार कर विद्यालय प्रबंधन के साथ चाय पानी पीकर उसे कृतार्थ करें।लड्डन को इस बात से बड़ा सन्तोष हुआ कि उन्हें फीस दुबारा नहीं भरनी पड़ेगी और रोज रोज के विद्यालय वालों के खर्चों से उनको मुक्ति मिली।लड्डन ने बहुत महीनों से बिजली का बिल नहीं जमा किया था ।बिजली वाले सिपाही लेकर बिजली काटने को आ गए ।बिजली वालों ने कहा ” आपकी बिजली कट जायेगी।आपका बिजली का बिल नहीं जमा है “।लड्डन और मिल्टन बाप बेटा अड़ गए कि “बिजली काटना उनके अधिकारों का हनन है ,वो छीन के लेंगे ,लड़ के लेंगे बिजली “।बिजली वालों ने कहा “हमारे रिकॉर्ड के अनुसार आपका बिजली का बिल नहीं जमा है ,और आप कहते हैं कि बिजली का बिल जमा है ।अगर जमा है तो फिर बिल के पेपर दिखा दीजिये”।
बाप -बेटा हत्थे से उखड़ गए और नारा लगाने लगे “कागज़ नहीं दिखाएंगे”।बिजली वाले बेचारे सहम गये।साथ में पुलिस थी ,सो वो लोग भी थोड़ा ताव खा गए और बिजली काटने की धमकी देने लगे।मिल्टन ने अपने साथियों को बुला लिया जो टुकड़ों -टुकड़ों में पहुंचने लगे और छपाक -छपाक की स्वर लहरियां निकलने लगे ।बिलजी वालों ने इस वायरल तमाशे से आजिज होकर वहां से चले जाना ही उचित समझा और उनके जाते ही लड्डन निहाल हो उठे मिल्टन की उपलब्धि पर।उन्होंने तुरंत कबाब और बिरयानी का आर्डर दिया ।लड्डन ने बिरयानी ज्यादा खा ली सो उनका पेट कुछ ख़राब हो गया।एक आध दिन तक देसी दवा की मगर कोई फायदा ना हुआ।नतीजा मिल्टन के साथ हॉस्पिटल गये।हस्पताल वालों ने जांच के बिना कोई दवा लिखने में असमर्थता जाहिर की ।सो लड्डन जांच कराने पैथोलॉजी जा रहे थे तभी रास्ते में उन्हें पुलिस ने धर लिया ।लड्डन-मिल्टन और एक परिचित को उसी पुरानी मोटर साइकिल पर लाद लिया जो खासी पुरानी थी।जिसका बरसों से ना तो इंश्योरेंश हुआ था ना गाडी के कागज़ थे ही नहीं क्योंकि कबाड़ की दुकान से उठा लाये थे और ड्राइविंग लाइसेंस की उम्मीद लड्डन से करना ऐसे ही था जैसे हिंदी के आलोचक से सहिष्णुता की अपेक्षा।
पुलिस अड़ गयी ,लड्डन अस्पताल से लौट रहे थे ,बेहाल और बदहाल नजर आ रहे थे ,कहने लगे “गाडी का कागज़,डीएल,हेलमेट सब है ,मगर घर पर है”।पुलिस भी अड़ गयी कि “कागज़ है तो दिखाओ”।
मिल्टन ने फिर वही पैंतरा शुरू कर दिया ।फेसबुक की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर दी और बाप बेटा एक सुर में नारा लगाने लगे “हम कागज़ नहीं दिखाएंगे ” और फिर “इंकलाब जिंदाबाद “के नारे भी लगाने लगे।सोशल मीडिया पर धड़ाधड़ कमेंट आने शुरू हुए तो मीडिया भी थोड़ी देर में वहां पहुंच गया।”तिल का ताड़ “की तर्ज पर रिपोर्टिंग शुरू हुई तो पुलिस वाले सवाल जवाब में उलझ गए ,मिल्टन ने दाल गलते ना देख लड्डन को इशारा किया और लड्डन कटे वृक्ष की तरह गिर पड़े ।पुलिस पर दवाब पड़ा तो उसने गाडी और मरीज को वहां से जाने दिया।लड्डन निहाल हो उठे कि कागज़ नहीं दिखाएंगे के नारे ने उनके हेलमेट ,इन्सुरेंश ना होने और तीन सवारी की पेनाल्टी से बचा लिया।घर,दुकान ,समाज में लड्डन और मिल्टन ने यही फार्मूला अपनाए रखा खासे फायदे उठाये।कई दिन गुजर गए ।लड्डन ने एक पोस्ट आफिस की एनएस सी अपनी पत्नी के नाम से कई वर्षों से कर रखी थी ।उनकी पत्नी ने वो पैसे अपने भाई को व्यापार करने को दे दिया था ,और उसका व्यापार डूब गया ।लड्डन का साला डिफाल्टर बन कर गायब हो गया।मिल्टन ने लड्डन से नई बाइक खरीदने की बात की ,लड्डन ,मिल्टन की कामयाबी से आश्वस्त था कि ये लड़का जरूर कमाल करेगा।उन्होंने पत्नी से कई बार एन एससी के कागज़ मांगे ,पत्नी टालमटोल करती रही और कहती रही कि “कहीं रखा है खोज कर दे देंगे”।
एक दिन लड्डन जब पत्नी पर आग बबूला होकर एनएससी मांगने लगे तो पत्नी ने निर्णायक स्वर में कहा “हम कागज़ नहीं दिखाएंगे “।
अब मिल्टन और लड्डन की शक्लें देखने लायक थीं।
दिलीप कुमार