राजधानी में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर तिहाड़ और अन्य जेलों में भीड़ को कम करने के लिए कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा करने की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है।
याचिका में कहा गया है कि तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेलों में बंद गैर-जघन्य अपराधों में शामिल कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा किए जाए ताकि भीड़ को कम किया जा सके।
मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की बेंच ने केंद्रीय विधि एवं न्याय और स्वास्थ्य मंत्रालयों के अलावा दिल्ली सरकार व पुलिस, उपराज्यपाल कार्यालय और जेल महानिदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बेंच ने वकील शोभा गुप्ता, राजेश सचदेव और आयुषी नागर और कानून की पढ़ाई कर रही संस्कृति गुप्ता की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अजय वर्मा ने बेंच को बताया कि जेल में 190 कैदी और 304 जेल कर्मचारी/अधिकारी कोरोना से संक्रमित हैं। उन्होंने कहा कि जेलों में संक्रमण पूरी तरह से फैल रहा है। उन्होंने कहा कि तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए जेलों में भीड़ कम करने की आवश्यकता है क्योंकि वहां पर क्षमता से काफी अधिक कैदी मौजूद हैं।
याचिका में कहा गया है कि तिहाड़, मंडोली और रोहिणी में कुल 10,026 कैदियों के रहने की क्षमता है, जबकि सात अप्रैल तक वहां 17,285 कैदी थे। याचिका में सभी विचाराधीन एवं गैर-जघन्य अपराध के मामलों में जुर्माना तथा अधिकतम सात साल कैद की सजा काट रहे कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा करने का अनुरोध किया है।
वकील ने बेंच को बताया कि पूर्व में रिहा किए गए कैदियों और आत्मसमर्पण करने वाले कैदियों को अच्छे आचरण के आधार पर तथा किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे कैदियों को रिहा करने की भी मांग की है।