राजधानी दिल्ली में कोरोना ने तांडव मचा रखा था। संक्रमण दर बढ़ने के साथ मौत के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। सोमवार को 380 कोरोना संक्रमितों की जान चली गई। यह एक दिन में सर्वाधिक मौत का रिकॉर्ड है। सोमवार को 20201 नए मामले सामने आए जबकि 22055 मरीजों को छुट्टी दी गई। दिल्ली में अभी तक 1047916 मरीज कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 940930 मरीज ठीक हो गए जबकि 14628 मरीजों ने कोरोना के कारण दम तोड़ दिया है।
कोरोना से मृत्युदर 1.40 फीसदी हो गई है। विभाग के अनुसार दिल्ली में कोरोना के 92358 एक्टिव केस हैं। इनमें से दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में 18831 मरीज भर्ती हैं। कोविड केयर सेंटर में 444 और कोविड मेडिकल सेंटर में 149 मरीज भर्ती हैं। होम आइसोलेशन में 52733 मरीज भर्ती हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार दिल्ली में रविवार को 57690 लोगों की जांच हुई। इसमें 35.02 फीसदी मरीज संक्रमित पाए गए। इनमें से आरटीपीसीआर से 38786 और रैपिड एंटीजन से 18904 टेस्ट हुए। अभी तक 16839549 टेस्ट हो चुके हैं। बढ़ते मामलों के साथ हॉटस्पॉट की संख्या बढ़कर 29104 हो गई है। चिंता की बात यह है कि बढ़ते मामलों के साथ वैक्सीनेशन की गति धीमी हो गई है। रविवार को 43637 लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगी।
लेफ्टिनेंट कर्नल के ससुर की मौत, अंतिम संस्कार के लिए मांगी मदद
लद्दाख में हैं तैनात भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल ने अपने ससुर का अंतिम संस्कार करने के लिए फोन के जरिए दिल्ली पुलिस से मदद मांगी है। लेफ्टिनेंट कर्नल के ससुर का कोरोना के चलते निधन हो गया था और वह उनका अंतिम संस्कार करने के लिए दिल्ली नहीं आ पा रहे थे। ऐसे में उनका मैसेज मिलने के बाद द्वारका जिला पुलिस ने उसने सम्पर्क किया और पुलिस ने पूरे रिती रिवाज के साथ मृतक का अंतिम संस्कार करवा दिया।
पुलिस उपायुक्त संतोष कुमार मीणा ने बताया कि लेफ्टिनेंट कर्नल सौमेन मंडल ने फोन कर पुलिस को जानकारी दी कि उनके ससुर कोरोना से संक्रमित हो गए थे। इस कारण उनकी मौत हो गई है। वह अकेले ही रहते थे। लेफ्टिनेंट कर्नल इन दिनों लद्दाख में तैनात है। उन्हें अंतिम संस्कार करने के लिए ना तो छुट्टी मिल रही है और ना ही वह ड्यूटी छोड़कर आ सकते हैं। उनका कोई जानकार भी नहीं है, जो उनके ससुर का अंतिम संस्कार कर सके। वहीं, पुलिस के सामने समस्या यह थी कि कोई शमशान घाट भी खाली नहीं था, जहां पर तुरंत उनका अंतिम संस्कार किया जाए। द्वारका नॉर्थ थाने में तैनात कांस्टेबल राजेश ने ससुर विश्वनाथ परमानिक के शव का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। इसके लिए उसने सभी प्रकार के सामान जुटाए और बाद में शव को लेकर शमशान घाट पहुंचा और उनका अंतिम संस्कार किया।