दिल्ली में जारी ऑक्सीजन संकट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट लगातार सक्रिय है। हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के मुख्य सचिव से तत्काल आक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं और अस्पतालों के साथ संयुक्त बैठक करने को कहा है। न्यायालय ने उनसे कहा कि आप व्यावहारिक तरीके के ऑक्सीजन के प्रवाह बढ़ा सकते हैं, बशर्ते आपको इसके लिए जरूरी व समुचित कदम उठाने होंगे। जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने मुख्य सचिव से कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए जहां तक संभव हो कागजी कार्रवाई से बचें।
इससे पहले दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने पीठ को भरोसा दिया कि वह आज ही अस्पतालों और ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं के साथ संयुक्त बैठक करेगा। इसके साथ ही न्यायालय ने सरकार को ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा से संबंधित शिकायतों के पर कार्रवाई के लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त करने का सुझाव दिया। इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि वह (केंद्र) अपने आपूर्तिकर्ताओं को समर्पित अधिकारी की ई-मेल आईडी देगा।
उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने को कहा है ताकि कोई आक्सीजन टैंकर के आवाजाही को बाधित नहीं करेगा। मेहता पीठ को बताया कि यदि कोई आपूर्तिकर्ता आक्सीजन की परिवहन में किसी तरह की परेशानी या बाधा का समाना करता है तो वे केंद्र सरकार को एक ई-मेल भेज सकते हैं। मेहता ने आपर्तिकर्ता आईनॉक्स के वकील से कहा कि वे बताएं कि ऑक्सीजन की आपूर्ति में कौन बाधा पहुंचा रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की जा सकती है। मेहता ने पीठ को यह भी बताया कि गृह मंत्री ने ऑक्सीजन टैंकरों को एम्बुलेंस जैसे आपात वाहन की श्रेणी में रखने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे पास पास पर्याप्त ऑक्सीजन है, यदि सही तरीके से वितरित किया जाए। मेहता ने कहा कि हमारे पास अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त मात्रा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को अस्पतालों और ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं की एक संयुक्त बैठक करनी चाहिए।
आक्सीजन आपूर्ति करने की जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते केंद्र व दिल्ली
उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई। न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा कि आपने ऑक्सीजन संकट को लेकर कई अस्पतालों को त्रस्त कर दिया। साथ ही कहा कि आक्सीजन की आपूर्ति करन दोनों सरकार की जिम्मेदारी है और कोई इससे बच नहीं सकता। जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने सरकारों से कहा कि ऐसा लगता है कि आप स्थापित आपूर्ति श्रृंखलाओं को बनाने में पूरी तरह से विफल रहे। पीठ ने कहा कि वे (आपूर्तिकर्ता) दिल्ली को आक्सीजन की आपूर्ति कर रहे थे, आपने इसे 85 मीट्रिक टन कर दिया है। पीठ ने केंद्र से कहा कि आपके आदेश के बावजूद उनके टैंकरों को क्यों रोका जाना चाहिए।
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषन मेहता ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि आप हमें सूचित करें कि कौन आक्सीजन टैंकर की आवाजाही में बाधा कर रहा, ऐसे व्यक्ति/अधिकारी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की जा सकती है। इस पर उच्च न्यायालय ने कहा कि हम यह समझने में विफल हैं कि ‘हमने आपसे कहा था कि आप आक्सीजन आवंटन पर दोबारा दे विचार करें, आपने उस पर अमल नहीं किया और आक्सीजन की कमी से 21 मरीजों की मौत हो गई। इस पर केंद्र की ओर से मेहता ने कहा कि मरीजों की मौत मेरे (केंद्र) द्वारा आक्सीजन की आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण नहीं हुआ है, यह राज्य की जिम्मेदारी है, मेरा काम नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि आक्सीजन आपूर्ति करना आप दोनों (केंद्र व दिल्ली सरकार) की जिम्मेदारी है। न्यायालय ने केंद्र से कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि यह मेरा काम नहीं है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने पीठ को बताया कि ऑक्सीजन रिफिल करने वाले उसे (दिल्ली सरकार) को जमीनी हालात की जानकारी नहीं दे रहे हैं। इसी दौरान आक्सीजन की आपूर्ति करने वाले आईनॉक्स ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार ने हमें 80 मीट्रिक टन आक्सीजन की आपूर्ति दिल्ली के अस्पतालों में करने का निर्देश दिया है जबकि दिल्ली सरकार ने हमें 125 मीट्रिक टन आक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए कह रहा है। यह कंपनी दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने का कार्य करता है।