राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस से उपजे संकट की इस घड़ी में राजनीति से परे होकर पूरा मुल्क एकजुटता की मिसाल पेश करे। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के बेहतर प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार जीवन रक्षा को सर्वोपरि रखते हुए ऑक्सीजन, दवाओं एवं अन्य संसाधनों की योजनाबद्ध व न्यायसंगत आपूर्ति सुनिश्चित करे।
गहलोत शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना वायरस प्रबंधन को लेकर आयोजित ऑनलाइन बैठक में विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा, ”कोरोना वायरस की वर्तमान परिस्थितियों में कई हृदयविदारक दृश्य देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में आमजन का आत्मविश्वास बढ़ाने की जरूरत है। ऐसे प्रयास किए जाएं कि ऑक्सीजन व दवाओं की कमी से किसी व्यक्ति की जान न जाए।”
उन्होंने कहा कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है और तमाम प्रयासों के बावजूद राज्यों से संसाधनों की कमी की शिकायतें आ रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी राज्यों को उपचाराधीन रोगियों (एक्टिव केस) के आधार पर ऑक्सीजन व रेमडेसिविर दवा का आवंटन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राजस्थान को 21 अप्रैल, 2021 को तात्कालिक आवंटन में मात्र 26 हजार 500 रेमडेसिविर इंजेक्शन आवंटित किए गए, जबकि गुजरात एवं मध्यप्रदेश को राजस्थान से उपचाराधीन रोगियों होने के बावजूद क्रमशः 1.63 लाख तथा 92200 रेमडेसिविर इंजेक्शन आवंटित किए गए। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार ऑक्सीजन के आवंटन में भी उपचाराधीन मामलों के अनुपात का ध्यान नहीं रखा गया। उन्होंने कहा कि भविष्य में इनकी आपूर्ति तर्कसंगत तरीके से हो ताकि किसी भी राज्य को कोरोना वायरस रोगियों के उपचार को लेकर परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
गहलोत ने कहा कि कोविड-19 रोगियों के उपचार के दौरान की जाने वाली सहायक जांचें जैसे आईएल-6, डी-डाइमर, फेरिटिन जांच आदि की किट की भी धीरे-धीरे कमी होने लगी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इन किट की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में भी योजना बनाए ताकि समय रहते राज्यों को इनकी सुचारू आपूर्ति हो सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 18 वर्ष से अधिक के लोगों का भी केंद्र सरकार निःशुल्क टीकाकरण करवाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को 60 वर्ष, 45 वर्ष व अब 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए एक ही नीति अपनानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ”राज्यों में सभी आयु वर्ग के लोगों को एक ही मेडिकल स्टाफ वैक्सीन लगाएगा। यह उचित नहीं होगा कि युवाओं से पैसे लिए जाएं और बाकी को निःशुल्क टीका लगाया जाए।” गहलोत ने कहा, ”भारत सरकार ने मुफ्त टीकाकरण के लिए बजट में 35 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया है, इसे देखते हुए राज्यों ने बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया। अब अगर राज्यों को टीके का वित्तीय भार वहन करना पड़ता है तो उन्हें सामाजिक सुरक्षा तथा विकास कार्यों के लिए निर्धारित बजट में कटौती करनी पडे़गी। उन्होंने कहा कि एक ही देश में टीके की अलग-अलग दरें भी उचित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर विचार करके निशुल्क टीका उपलब्ध करवाना चाहिए।”