दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में गुरुवार देर रात दो मरीजों ने इमरजेंसी के बाहर ही दम तोड़ दिया। इससे पहले ये मरीज कई अस्पतालों में चक्कर लगाकर आए थे लेकिन उन्हें कहीं भी बेड नहीं मिला। इसके बाद जब ये जीटीबी आए तो इन्होंने इमरजेंसी के बाहर ही दम तोड़ दिया। इनमें एक महिला और एक बुजुर्ग शामिल हैं।
गुरुवार रात 12 बजे जीटीबी अस्पताल के आपातकालीन विभाग के बाहर एक महिला को परिजन कार में लेकर आए। गाड़ी से निकलते ही महिला बेहोश हो गई। महिला की हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे तुरंत सीपीआर और दवा दी लेकिन करीब पांच मिनट की काफी कोशिशों के बाद भी मरीज की जान नहीं बचाई जा सकी। इससे पहले चार अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद जीटीबी पहुंचे एक बुजुर्ग मरीज ने स्ट्रेचर पर ही दम तोड़ दिया। जानकारी मिली है कि मरीज को सांस लेने में तकलीफ थी लेकिन समय पर अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन न मिलने की वजह से उनकी मौत हो गई।इसी बीच रात 12 बजकर 28 मिनट पर एक महिला डॉक्टर के आगे हाथ जोड़कर अपने पति को भर्ती करने के लिए रोती रही। महिला रोते रोते बोल रही थी कि उनके पति को सांस नहीं आ रही है। उनका ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने वाला है। डॉक्टर साहब, इन्हें ऑक्सीजन दे दो। इन्हें भर्ती कर लो। हालांकि 20 मिनट तक अपील करने के बाद जब डॉक्टरों ने काफी कोशिशों के बाद उन्हें समझाया कि अस्पताल में एक भी बेड खाली नहीं है न ही उनके पास अतिरिक्त ऑक्सीजन का पॉइंट है जिसके माध्यम से उनके पति को बचाया जा सके। हालांकि डॉक्टरों ने मरीज को एक इंजेक्शन दे दिया। इसके बाद महिला अपने पति को एक कार में लेकर राम मनोहर लोहिया चली गई।
अस्पताल के आपातकालीन विभाग में तैनात डॉक्टरों ने अपनी पहचान नहीं बताई लेकिन उन्होंने कहा कि हमारे पास संसाधनों की कमी है। हम इस वक्त बिलकुल नहीं चाहते कि कोई मरीज हमारे यहां से वापस जाए लेकिन जिन मरीजों को सांस लेने में दिक्कत है उन्हें हम ऑक्सीजन नहीं उपलब्ध करा सकते हैं क्योंकि हमारे पास अतिरिक्त पॉइंट नहीं है। अगर मरीज को बुखार या अन्य कोई दिक्कत है तो उसे स्ट्रेचर पर रखकर इमरजेंसी स्थिति में उपचार दिया जा रहा है।