दिल्ली में 6 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा होने के साथ ही प्रवासी मजदूर बीते साल की तरह सड़कों पर उतर आए। सोमवार को कौशांबी मेट्रो स्टेशन पर भारी भीड़ लग गई। लोगों का कहना है कि अपनी सुरक्षा के मद्देनजर गांव जा रहे है। स्थिति नियंत्रित होने के बाद काम पर वापस लौट आएंगे।
सूरजपुर दिल्ली स्थित रैक्सीन प्लांट में काम करने वाले तीन युवा मजदूर रामनरेश, अरविंद कुमार व सुधीर दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा के बाद बोरियों व ड्रम में अपना सामान रखकर कौशांबी बस अड्डे पहुंच गए। रामनरेश ने बताया कि उन्हें बहराइच स्थित अपने गांव जाना है। दिल्ली में सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया है। इसलिए कंपनी बंद हो गई है। आगे का कुछ पता नहीं है क्या होगा, इसलिए गांव जा रहे हैं।
उन्होंने कहा स्थिति नियंत्रण में आने के बाद वापस आने का फैसला करेंगे। दिल्ली के सीलमपुर में रेहड़ी पटरी पर बर्तन बेचने वाले आरिफ ने बताया कि अपनी पत्नी रूखसार व एक वर्ष के बच्चे के साथ अपना बचा हुआ बर्तन व गृहस्थी का सामान लेकर चंदौसी स्थित घर जा रहे हैं।सुबह से बढ़ने लगी भीड़
प्रवासी मजदूरों के पलायन के चलते सोमवार सुबह से आनंद विहार से हजारों की संख्या में मजदूर कौशांबी बस अड्डे पर पहुंचते रहे। अड्डे के मुख्य गेट के साथ अन्य गेटों पर भारी भीड़ जमा रही। लोगों की संख्या बढ़ने के बाद डग्गा मार बसे भी कौशांबी बस अड्डे के पास से लोगों को भर कर पश्चिमी यूपी सहित लखनऊ, गोरखपुर व अन्य जगहों पर जाती रही है।
बस अड्डे पर संक्रमण रोकने के इंतजाम नाकाफी
कौशांबी बस अड्डे पर कोरोना संक्रमण रोकने के नाम पर महज खाना पूर्ति देखने को मिली। इस दौरान बस अड्डे पर महज दो जगहों पर सेनेटाइजर की व्यवस्था देखने को मिली। वहीं शारीरिक दूरी के नियम की धज्जियां जमकर उड़ती रही। शाम होने तक कौशांबी पर यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ी। इसके बाद सिर्फ बस के लिए भागते मजदूर ही देखे गए।
भीड़ नियंत्रित करने के लिए लगाई छह थानों की फोर्स
कौशांबी बस अड्डे पर भीड़ नियंत्रित करने के लिए छह थानों की फोर्स लगाई गई। जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय और एसएसपी अमित पाठक ने भी कौशांबी बस अड्डे के हाल जाना है। परिवहन विभाग से करीब 200 प्राइवेट बसों को भी लगाने के निर्देश दिए हैं। रोडवेज 1150 से ज्यादा बसें रवाना कर चुका है। भीड़ कौशांबी के अंदरूनी इलाकों में पहुंच चुकी है।