महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण बेकाबू होने की वजह से ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की किल्लत हो रही है। महाराष्ट्र के नागपुर में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की भारी किल्लत को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया है कि आज रात 8 बजे तक 10 हजार वायल भेजे जाएं।
हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि रेमडेसिवीर का वितरण जरूरत के हिसाब से होना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार से पूछा कि किन मानकों के आधार पर दवा का वितरण अलग-अलग राज्यों और जिलों में किया जा रहा है।
जस्टिस सुनील शुकरे और एसएम मोदक की डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि भारत में कुल कोरोना केसों में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 40 फीसदी है तो रेमडेसिवीर का वितरण भी राज्य को उसी अनुपात में होना चाहिए। गौरतलब है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन कोरोना के गंभीर मरीजों को लगाया जाता है। कोरोना केसों में अचानक उछाल के बाद देश के कई हिस्सों में इसकी किल्लत और कालाबाजारी हो रही है। केंद्र सरकार ने पिछले महीने दवा के निर्यात पर रोक लगा दी।
जस्टिस शुकरे ने कहा, ”यदि कोरोना केसों में महाराष्ट्र का योगदान 40 फीसदी है तो यही कहना ठीक है कि 40 फीसदी रेमडेसिवीर इंजेक्शन राज्य को दिया जाए। आवंटन जरूरत आधारित होना चाहिए, किसी और आधार पर नहीं जो प्रासंगिक नहीं हैं।” कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को 21 अप्रैल तक हलफनामा दाखिल करके यह बताने को कहा है कि किस आधार पर रेमडेसिवीर का वितरण हो रहा है।
कोर्ट में कोविड 19 महामारी और अस्पतालों में सुविधाओं की कमी को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी। राज्य के विभिन्न जिलों में इजेक्शन के आवंटन में ‘असमानता और मनमानी’ के लिए महाराष्ट्र सरकार कि खिंचाई की।