राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को चारों तरफ से घेरकर बैठे किसानों को कोरोना संक्रमण के फैलाव का कारण नहीं बनने दिया जाएगा। सिंघु और टीकरी बार्डर पर बैठे इन किसानों को आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार पहले प्यार से समझाएगी। यदि यह किसान अपनी जिद पर अड़े रहे और आंदोलन स्थल से नहीं हटे तो उन्हें अर्धसैनिक बलों व पुलिस की मदद से हटाया जाएगा। गृह मंत्रालय ने इन किसानों को धरने से हटाने की रूपरेखा तैयार कर ली है। इसके लिए हरियाणा सरकार को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है।
देश भर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेजी के साथ फैल रही है। केंद्र व राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि पिछले साढ़े तीन माह से धरने पर बैठे यह आंदोलनकारी कोरोना संक्रमण का शिकार न हो जाएं। यदि वे संक्रमित होते हैं तो दूसरे लोगों में भी संक्रमण तेजी के साथ फैलने का खतरा बना रहेगा। इसलिए सरकार चाहती है कि इन किसानों को प्यार से समझाकर आंदोलन स्थल से उठाया जाए। यदि वे बाद में आंदोलन करना चाहें तो उन्हें कोई एक जगह प्रदान की जा सकती है।
इन आंदोलनकारियों को धरना स्थलों से हटाने के लिए सरकार ने आपरेशन की रूपरेखा तैयार कर ली है। गृह मंत्रालय की ओर से टिकरी व सिंघु बार्डर का हवाई सर्वेक्षण कराया जा चुका है। सीआइडी व अन्य गुप्तचर एजेंसियों ने भी इन किसानों की संख्या के बारे में सरकार को अपनी रिपोर्ट दे दी है। सरकार ने रणनीति तैयार की है कि कम से कम दो बार इन किसानों को समझा-बुझाकर आंदोलन स्थल से स्वयं ही हट जाने के लिए मनाया जाएगा। पहले चरण में बार्डर के साथ लगते जिलों के उपायुक्त इन किसानों से बात करेंगे। फिर सरकार स्वयं अपने प्रतिनिधियों के जरिये बातचीत करेगी। दो बार बातचीत करने के बाद यदि नहीं माने तो इन किसानों को पुलिस व अर्धसैनिक बलों के बूते हटा दिया जाएगा।
केंद्र सरकार के इस आपरेशन में सबसे अहम जिम्मेदारी हरियाणा सरकार की रहने वाली है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृह मंत्री अनिल विज बार-बार किसान आंदोलनकारियों से अनुरोध कर रहे हैं कि कोरोना का फैलाव हो रहा है और आंदोलनकारियों को फिलहाल अपना आंदोलन स्थगित कर देना चाहिए। अभी आंदोलनकारी सरकार के इस अनुरोध को खास गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, लेकिन अगले एक सप्ताह के भीतर केंद्र व राज्य सरकार मिलकर आपरेशन क्लीन को अंजाम देने वाले हैं। इस बारे में गृह मंत्रालय व हरियाणा सरकार के बीच रणनीति पर चर्चा की जा चुकी है।