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मिज़ोरम
मिज़ोरम
Mizoram
राजधानी अइज़ोल
सबसे बड़ा शहर अइज़ोल
जनसंख्या 10,97,206
- घनत्व 52 /किमी²
क्षेत्रफल 21,081 किमी² - ज़िले 8
राजभाषा मिज़ो, अंग्रेज़ी, हिन्दी[1]
गठन 20 फ़रवरी 1987
सरकार मिज़ोरम सरकार - राज्यपाल PS श्रीधरण पिल्लई
- मुख्यमंत्री ज़ोरामथंगा (मिज़ो नेशनल फ्रंट)
- विधानमण्डल एकसदनीय
विधान सभा (40 सीटें) - भारतीय संसद राज्य सभा (1 सीट)
लोक सभा (1 सीट) - उच्च न्यायालय गुवाहाटी उच्च न्यायालय
(आइज़ोल खंडपीठ)
डाक सूचक संख्या 796
वाहन अक्षर MZ
आइएसओ 3166-2 IN-MZ
mizoram.gov.in
मिज़ोरम भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। 2001 में यहाँ की जनसंख्या लगभग 8,90,000 थी। मिजोरम में साक्षरता का दर भारत में सबसे अधिक 91.03% है। यहाँ की राजधानी आईजोल है।[2]
इतिहास और नामोत्पत्ति
मिजोरम एक पर्वतीय प्रदेश है। फरवरी, 1987 को यह भारत का 23वां राज्य बना। 1972 में केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले तक यह असम का एक जिला था। 1891 में ब्रिटिश अधिकार में जाने के बाद कुछ वर्षो तक उत्तर का लुशाई पर्वतीय क्षेत्र असम के और आधा दक्षिणी भाग बंगाल के अधीन रहा। 1898 में दोनों को मिलाकर एक ज़िला बना दिया गया जिसका नाम पड़ा-लुशाई हिल्स ज़िला और यह असम के मुख्य आयुक्त के प्रशासन में आ गया। 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर मिज़ोरम केंद्रशासित प्रदेश बन गया। भारत सरकार और मिज़ो नेशनल फ़्रंट के बीच 1986 में हुए ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप 20 फ़रवरी 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बंग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिज़ोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य हैं। मिज़ोरम में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है तथा इस क्षेत्र में प्रकृति की विभि्न छटाएं देखने को मिलती हैं। यह क्षेत्र विभिन्न प्रजातियों के प्राणिमयों तथा वनस्पतियों से संपन्न हैं।[3]
मिज़ो’ शब्द की उत्पत्ति के बारे में ठीक से ज्ञात नहीं है। मिज़ोरम शब्द का स्थानीय मिज़ो भाषा में अर्थ है, पर्वतनिवासीयों की भूमि। 19वीं शताब्दी में यहां ब्रिटिश मिशनरियों का प्रभाव फैल गया और इस समय तो अधिकांश मिज़ो लोग ईसाई धर्म को ही मानते हैं। मिज़ो भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है। मिशनरियों ने मिज़ो भाषा और औपचारिक शिक्षा के लिए रोमन लिपि को अपनाया। मिज़ोरम में शिक्षा की दर तेजी से बढ़ी हैं। वर्तमान में यह 88.8 प्रतिशत है, जोकि पूरे देश में केरल के बाद दूसरे स्थान पर है। मिज़ोरम शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पहले स्थान पर आने के लिए बड़े प्रयास कर रहा हैं।
राजनीति
मुख्य लेख: मिज़ोरम लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र और मिज़ोरम के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
भारत की संसद में प्रतिनिधित्व हेतु मिज़ोरम राज्य में केवल एक ही लोकसभा सीट है। मिज़ोरम की विधानसभा में 40 सीटें हैं।[4] सी॰ एल॰ रुआला यहाँ के वर्तमान सांसद हैं। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध हैं।[5][6]यहां की राजनीति में मिज़ो नेशनल फ्रंट प्रमुख राजनीतिक दल है। जिसके मुखिया जोरमथांगा हैं।
जिले
मिज़ोरम में 8 जिले हैं-
आइजोल जिला
कोलासिब जिला
चम्फाई जिला
ममित जिला
लुंगलेई जिला
लॉन्गतलाई जिला
सइहा जिला
सेरछिप जिला
मिजोरम के 80 प्रतिशत लोग कृषि कार्यो में लगे हैं। कृषि की मुख्य प्रणाली झूम या स्थानांतरित कृषि हैं। अनुमानित 21 लाख हेक्टेयर भूमि में से 6.30 लाख हेक्टेयर भूमि बागवानी के लिए उपलब्ध है। वर्तमान में 4127.6 हेक्टेयर क्षेत्र पर ही विभिन्न फसलों की बागवानी की जा रही है, जो कि अनुमानित संभावित क्षेत्र का मात्र 6.55 प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि मिज़ोरम में बागवानी फसलों के फलने-फूलने की विस्तृत संभावनाएं हैं। बागवानी की मुख्य फसलें फल हैं। इनमें मैडिरियन संतरा, केला, सादे फल, अंगूर, हटकोडा, अनन्नास और पपीता आदि सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त यहां एंथुरियम, बर्ड ऑफ पेराडाइज, आर्किड, चिरासेथिंमम, गुलाब तथा अन्य कई मौसमी फूलों की खेती होती हैं। मसालों में अदरक, हल्दी, काली मिर्च, मिर्चे (चिडिया की आंख वाली मिर्चे) भी उगाए जाते हैं। यहां के लोग पाम आयल, जड़ी-बूटियों तथा सुगंध वाले पौधों की खेती भी बड़े पैमाने पर करने लगे हैं।
सिंचाई
मिज़ोरम में संभावित भूतल सिंचाई क्षेत्र लगभग 70,000 हेक्टेयर है। इसमें से 45,000 हेक्टेयर बहाव क्षेत्र में है और 25,000 हेक्टेयर 70 पक्की लघु सिंचाई परियोजनाओं और छः लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं के पूरा होने से प्राप्त किया जा सकता है, जिसमे वर्ष में दो या तीन फसलें ली जा सकती हैं।
उद्योग
संपूर्ण मिज़ोरम अधिसूचित पिछड़ा क्षेत्र है और इसे ‘उद्योगविहीन क्षेत्र’ के अर्न्तगत वर्गीकृत किया गया है। 1989 में मिज़ोरम सरकार की औद्योगिक नीति की घोषणा के बाद पिछले दशक में यहां थोड़े से आधुनिक लघु उद्योगों की स्थापाना हुई है। मिज़ोरम उद्योगों को और तेज़ी से बढ़ाने के लिए वर्ष 2000 में नई औद्योगिक नीति की घोषणा की गई। इनमें इलेक्ट्रॉनिक तथा सूचना प्रौद्योगिकी, बांस तथा इमारती लकड़ी पर आधारित उत्पाद, खाद्य तथा फलों का प्रसंस्करण, वस्त्र, हथकरघा तथा हस्तशिल्प सम्मिलित हैं।
औद्योगिक नीति में राज्य से बाहर के निवेश को आकर्षित करने के लिए ऐसे सभी बड़े, मध्यम तथा लघु पैमाने के उद्योगों, जिनमें कि स्थानीय लोग भागीदारी हों, की स्थापना के लिए साझे उपक्रम लगाने की अनुमति दी गई है। विद्यमान औद्योगिक संपदाओं के उन्नयन के अतिरि्त संरचनात्मक विकास कार्य जैसे कि लुंआगमुआल, आइज़ोल में औद्योगिक प्रोत्साहन संस्थान (आईआईडीसी), निर्यात प्रोत्साहन औद्योगिक पार्क, लेंगरी, एकीकृत संचनात्मक केद्र (आईआईडीसी), पुकपुई, लुंगत्तेई तथा खाद्य पार्क, छिंगछिप आदि पूर्ण होने वाले है।
चाय की वैज्ञानिक ढंग से खेती आरंभ की गई है। निर्यातोन्मुखी औद्योगिक इकाइयों (ईओयूज) की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए एप्परेल प्रशिक्षण तथा डिजाइन केंद्र तथा रत्नों की कटाई तथा पॉलिश करने की इकाइयां लगाने की योजना है। कुटीर उद्योगों में हथकरधा तथा स्तशिल्प को उच्च प्राथमिकता दी जाती है तथा ये दोनो क्षेत्र मिज़ोरम तथा इसके पड़ोसी राज्यों मेघालय तथा नागालैंड में उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए फल-फूल रहे हैं।
राज्य की शांतिपूर्ण स्थिति, म्यांमार तथा बंग्लादेश की सीमाओं के व्यापार के लिए खुलने तथा भारत के सरकार की ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ के कारण मिज़ोरम अब और अधिक समय तक देश के दूरस्थ होने का राज्य मात्र नहीं बना रहेगा। इन सब बातों से निकट भविष्य में मिज़ोरम में औद्योगिक की गति में भारी तेजी आएगी।
बिजली
तुईरियाल पनबिजली परियोजना (60 मेगावाट) का निर्माण कार्य प्रगति पर है। कोलोडाइन पनबिजली परियोजना (500 मेगावाट) का सर्वेक्षण तथा अनवेषण कार्य सी.डब्ल्यू.सी. द्वारा दिंसबर 2005 तक पूरा कर लिया गया है। इस उपक्रम से 500 मेगावाट बिजली के उत्पादन के अतिरिक्त क्षेत्र में जल परिवहन की सुविधाएं प्राप्त होंगी। मिजोरम सरकार ने इस परियोजना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। तीन मेगावाट क्षमता की तुईपांगुली तथा काऊतलाबंग राज्य पनबिजली परियोजनाओं को हाल में ही चालू किया गया है जिसने राज्य की पनबिजली उत्पादन क्षमता को 15 मेगावाट कर दिया है। मेशम-II (3 मेगावाट), सेरलुई ‘बी’ (12 मेगावाट) तथा लामसियाल चालू होने की आशा है।
परिवहन
राज्य में सड़कों (सड़क सीमा संगठन तथा राज्य लोक निर्माण विभाग) की कुल लंबाई 5,982.25 किलोमीट है। राज्य में बैराबी में रेलमार्ग स्थापित किया गया है। राज्य की राजधानी आइज़ोल विमान सेवा से जुड़ी है। बेहतर परिवहन सुविधा के लिए सरकार ने विश्व बैंक के अनुदान की सहायता से कुल 3.5 अरब (350 करोड़) रूपये की लागत से मिज़ोरम राज्य सड़क परियोजना आरंभ की है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अर्न्तगत मिज़ोरम में 384 गांव नव पग
त्योहार
मिज़ो लोग मूलत: किसान हैं। अत: उनकी सारी गतिविधियां तथा त्योहार भी वनों की कटाई करके की जाने वाली झूम खेती से ही जुड़े है। त्योहार के लिए मिज़ो शब्द ‘कुट’ है। मिज़ो लोगों के विभिन्न त्योहारों में से आजकल केवल तीन मुख्य त्योहार ‘चपचार’, ‘मिम कुट’ और ‘थालफवांगकुट’ मनाए जाते हैं।
इसके अतिरिक्त यहाँ की अधिसंख्य जनसंख्या ईसाइ है, इसलिए क्रिसमस का त्योहार भी यहाँ मनाया जाता है। यहाँ बौद्ध और हिन्दू समुदायों के लोग भी रहतें है जो अपने-2 त्योहारों को मनाते हैं
पर्यटन स्थल
समुद्र तल से लगभग 4,000 फुट की उंचाई पर स्थित पर्वतीय नगर आइज़ोल, मिज़ोरम का एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। म्यांमार की सीमा के निकट चमफाई एक सुंदर पर्यटन स्थल है। तामदिल एक प्राकृतिक झील है जहां मनोहारी वन हैं। यह आइज़ोल से 80 किलोमीटर और पर्यटक स्थल सैतुअल से 10 किलोमीटर की दूरी पर है। वानतांग जलप्रपात मिज़ोरम में सबसे ऊंचा और अति सुंदर जलप्रपात है। यह थेनजोल कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है। पर्यटन विभाग ने राज्य में सभी बड़े कस्बों में पर्यटक आवास गृह तथा अन्य कस्बों में राजमार्ग रेस्त्रां तथा यात्री सरायों का निर्माण किया है। जोबौक के निकट जिला पार्क में अल्पाइन पिकनिक हट तथा बेरो त्लांग में मनोरंजन केंद्र भी बनाए गए हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
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2001 में मिजोरम की भाषाएँ[7][8][9]
██ मिजो (73.2%)
██ चकमा (9.01%)
██ मारा (3.82%)
██ लाई (2.7%)
██ कुकी (2.37%)
██ त्रिपुरी (1.9%)
██ ह्मार (1.5%)
██ पाइते (1.5%)
██ अन्य (4%)
क्षेत्रफल: 21,000 वर्ग कि॰मी॰
जनसंख्या: 890,000 (2001)
जिसमें:
मिजो/लुशाई: 63.1%
म्हार: ?
पोई: 8%
चकमा: 7.7%
राल्ते: 7%
पोवाई: 5.1%
कुकी: 4.6%
अन्य: 5.1%
धर्म:
ईसाई: 85%
बौद्ध: 8%
हिन्दू: 7%
राजधानी: आईजोल (जनसंख्या 1,82,000)