रमजान के दौरान दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में श्रद्धालुओं को जाने की इजाजत देने के एक दिन बाद ही केंद्र ने इस पर यू-टर्न लेते हुए दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि राजधानी में नए आपदा प्रबंधन नियमों के तहत सभी धार्मिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। इस मामले में दक्षिणी दिल्ली के निजामुद्दीन में मस्जिद बंगले वाली शामिल है, जो पिछले साल मार्च से बंद है, जब भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
हाईकोर्ट दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें यह अनुरोध किया गया है कि प्रतिबंधों में ढील देकर लोगों को मरकज के अंदर नमाज की अनुमति दी जाए।
सोमवार को, हाईकोर्ट ने केंद्र के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जिसमें कहा गया था कि पुलिस द्वारा सत्यापित 200 लोगों की सूची से केवल 20 लोगों को ही एक बार में नमाज के लिए मस्जिद परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है।
कोविड नियमों की अवहेलना कर उत्तराखंड के हरिद्वार में चल रहे महाकुंभ मेले में उमड़ रही भारी भीड़ को लेकर अदालत ने केंद्र से पूछा, “क्या आपकी अधिसूचनाओं में आपने धार्मिक स्थलों के लिए भी एक बार में 20 लोगों के जमा होने पर रोक लगाई है,”
अदालत ने केंद्र सरकार से एक हलफनामा दायर कर सभी धार्मिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, सामाजिक और खेल समारोहों पर प्रतिबंध लगाने पर अपना नया रुख बताने को कहा है।
दिल्ली वक्फ बोर्ड ने अदालत से कहा था कि 200 लोगों की सूची तैयार करना मुश्किल होगा। इस पर अदालत ने कहा कि जब किसी अन्य धार्मिक पूजा स्थल पर श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर रोक नहीं है तो मस्जिदों को भी श्रद्धालुओं की निश्चित संख्या बताने की जरूरत नहीं है। अदालत ने कहा कि 200 लोगों की सूची स्वीकार्य नहीं है। और ऐसा नहीं हो सकता है।
केंद्र ने मंगलवार को यू-टर्न लेते हुए दिल्ली आपदा प्रबंधन अधिनियम के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए सभी धार्मिक समारोहों पर रोक के बारे में जानकारी दी। यह नियम केवल दिल्ली में लागू होते हैं