दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र, आप सरकार और पुलिस से उन तीन बांग्लादेशी युवकों के पिछले जीवन का पता लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा है जिन्हें उनके देश से कथित तौर पर अगवा कर मार्च में यहां लाया गया था। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की पीठ ने गृह मंत्रालय व विदेश मंत्रालय, बांग्लादेश उच्चायोग, दिल्ली सरकार, सीमा सुरक्षा बल और पुलिस को तीनों युवकों की याचिका पर नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है जो अपने देश लौटना चाहते हैं।
पीठ ने निर्देश दिया कि विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए और साथ ही उसे भी नोटिस जारी किया जाए। तीनों युवकों की तरफ से दायर याचिका के मुताबिक 4 मार्च, 2021 को वे एक व्यक्ति के साथ भारत-बांग्लादेश सीमा देखने गए थे जिसने सीमा के पास पहुंचने के बाद उन्हें कुछ खाने को दिया था। अधिवक्ता कमलेश कुमार मिश्रा, ऋतु मैती और अभिषेक आनंद के माध्यम से दायर याचिका के मुताबिक खाना खाने के बाद, तीनों बेहोश हो गए और जब 10 मार्च को उनकी आंख खुली तो उन्होंने अपने आप को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पाया।
याचिका के मुताबिक, इसके बाद वे तीनों पास के कमला मार्किट पुलिस थाने गए। वहां उन्होंने अपनी कहानी सुनाई और पुलिसककर्मियों ने उन्हें खाने के लिए कुछ पैसे दिए। साथ ही कहा कि बाद में उन्हें बेघरों के रात्रि शिविर में भेज दिया जाएगा। याचिका में यह भी बताया गया कि सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार अलेडिया की मदद से उन्होंने बांग्लादेश उच्चायोग और भारत तथा बांग्लादेश की सरकारी एजेंसियों के समक्ष आवेदन दिया लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। याचिका में उनकी सुरक्षित घर वापसी के अलावा उन्हें पासपोर्ट या वीजा के अभाव में गिरफ्तार नहीं किए जाने और उन्हें स्वदेश भेजे जाने तक भोजन एवं आश्रय मुहैया कराए जाने का भी अनुरोध किया गया है।