दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आरोपी शाहरूख पठान की जमानत याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। पठान पर हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल पर पिस्टल तानने और फायर करने का आरोप है।
जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा कि वह जल्द ही मामले में अपना फैसला देंगे। इससे पहले आरोपी पठान की ओर से अधिवक्ता कहा कि मामले की जांच पूरी हो चुकी और सुनवाई (ट्रायल) में काफी वक्त लेगागा। अधिवक्ता ने कहा कि ऐसे में उनके मुवक्किल को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है। यह दलील देते हुए उन्होंने आरोपी को जमानत देने की मांग की। दूसर तरफ दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पठान पर संगीन आरोप है। पुलिस ने कहा कि आरोपी न सिर्फ हिंसा में शामिल रहा है बल्कि कानून व्यवस्था संभालने में लगे पुलिसकर्मी पर गोली चलाकर उसकी हत्या करने की कोशिश भी किया है।
पुलिस ने यह भी कहा है कि आरोपी पठान की हिंसा भड़काने में अहम भूमिका रही है। यह दलील देते हुए दिल्ली पुलिस ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करने की मांग की। निचली अदालत ने आरोपों की प्रकृति को गंभीर बताने हुए कहा था कि आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा था कि आरोपी ने पुलिसकर्मी पर खुलेआम पिस्टल तान रखा है और उसके इस कृत्य की वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुई है।
नागरिकता संशोधक कानून के विरोध को लेकर पिछले साल फरवरी में उत्तरी पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई, जबकि 200 से अधिक घायल हो गए। इस मामले में पुलिस ने पठान को 3 मार्च 2020 को उत्तर प्रदेश के शामली से गिरफ्तार किया था।