पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा है कि राज्य सरकार के पास चालू रबी सत्र के दौरान फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर होने वाली खरीद का भुगतान सीधे बैंक खाते में हस्तांतरित (डीबीटी) करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। रबी विपणन सत्र 10 अप्रैल से शुरू हो रहा है। प्रदेश के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने कहा कि चालू सत्र के दौरान, खरीद एजेंसियां, साथ ही एफसीआई, 1,975 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद करेंगी।
बादल ने कहा कि इस संबंध में डीबीटी प्रणाली को लागू करने के लिए और समय दिए जाने के पंजाब के आग्रह को केन्द्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया। केन्द्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ लंबे विचार विमर्श के बाद बादल ने यह जानकारी दी। इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को आढ़तियों (कमीशन एजेंट) के साथ एक बैठक बुलाई।
आढ़तियों के जरिये होता था भुगतान
इस बैठक में 10 अप्रैल से शुरू होने वाले गेहूं खरीद सत्र में एमएसपी का भुगतान नई प्रणाली के तहत किए जाने पर चर्चा की गई। पंजाब सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत केन्द्र सरकार की तरफ से गेहूं और चावल की एमएसपी पर खरीद करती है। वर्तमान में पंजाब में किसानों को एमएसपी का भुगतान आढ़तियों के जरिये किया जाता है जबकि अन्य राज्यों में यह भुगतान किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में किया जाता है।
पंजाब में चलती है आढ़तिया प्रणाली
बादल ने ढाई घंटे की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि केन्द्र सरकार ने हमसे डीबीटी को लागू करने के लिए कहा है। ”हमने और समय मांगा था क्योंकि पंजाब में आढ़तिया प्रणाली चलती है, लेकिन भारत सरकार ने हमारी मांग को नहीं माना। हमने काफी प्रयास किया लेकिन उन्होंने नहीं माना। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास अब कोई और विकल्प नहीं है।
हमें प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण को चालू सत्र से ही अमल में लाना ही होगा। अब भुगतान के लिए जल्द ही नई प्रणाली लागू की जाएगी। बैठक में बादल के अलावा पंजाब के खाद्य मंत्री भारत भूषण आशु, पीडब्ल्यूडी मंत्री विजय इंदर सिंग्ला और मंडी बोर्ड के चेयरमैन एस लाल सिंग उपस्थित थे। इसके अलावा केन्द्रीय खाद्य एवं कृषि मंत्रालय के अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे।