दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा नगर निगम (एमसीडी) के सफाई कर्मचारियों और उनके संघ (यनियन) को वेतन नहीं मिलने के बदले विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है। लेकिन इसके नाम पर वे कर्मचारियों को काम से नहीं रोक सकते और न ही सड़कों पर कचरा फेंकने, उपद्रव करने और गुंडागर्दी कर सकते हैं।
जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की बेंच ने साफ किया है कि कर्मचारियों के इस तरह के रवैये को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। बेंच ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस तरह की हरकत करने पर दोषी यूनियन के नेताओं और उनके सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, नगर निगम स्वच्छता कर्मचारी संघ के नेता (जिन्होंने हड़ताल का आह्वान किया था) ने हाईकोर्ट में पेश होकर भरोसा दिया कि वे भविष्य में ऐसी कोई भी हरकत नहीं करेंगे जिससे आम लोगों को परेशानी हो।
बेंच ने कहा है कि चूंकि संबंधित कर्मचारी संघ के अध्यक्ष और सचिव पेश हो गए हैं, इसलिए उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट को अब प्रभावी नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट ने कहा है कि कानून में कर्मचारी यूनियन को अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें इसके नाम पर उपद्रव करने और कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती। साथ ही कहा कि कर्मचारी यूनियन काम करने वाले कर्मचारियों को अपने जिम्मेदारी निभाने से नहीं रोक सकतीं।
इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम की उस याचिका का निपटारा कर दिया जिसमें दिल्ली सरकार और पुलिस को सुनिश्चित करने का आदेश देने की मांग की गई थी कि हड़ताली कर्मचारी व उनके यूनियन निगम के अधिकारियों और कम करने के इच्छुक कर्मचारियों को किसी तरह से काम करने से नहीं रोकें।
पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) ने कहा था कि कई कर्मचारी यूनियन ने मार्च में हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी और सड़कों पर कचरा फेंकने या निगम के अधिकेरियों व कर्मचारियों को काम करने से रोक रहे थे। मामले की सुनवाई के दौरान निगम की ओर से वकील मनु चतुर्वेदी ने बेंच को बताया कि कर्मचारियों की शिकायतों को दूर करने के लिए निगम द्वारा जोनल और मुख्यालय स्तर पर एक स्थायी शिकायत निवारण सेल का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के 4 मार्च के आदेश के बाद यूनियनों ने हड़ताल या विरोध प्रदर्शन नहीं किया है। सुनवाई के दौरान कर्मचारी संघ की ओर से वकील प्रकाश कुमार ने बेंच को बताया कि उन्हें कोर्ट के नोटिस और याचिका की प्रति नहीं दी गई और भरोसा दिया कि वे (कर्मचारी) भविष्य में हड़ताल पर नहीं जाएंगे। बेंच ने कहा कि यदि आपका कोई काम है तो आपको उसके लिए आवाज उठाने का अधिकार है और आपको इससे कोई नहीं रोक रहा है, लेकिन आपको सड़कों पर कूड़ा फेंकने, उपद्रव करने या कानून को हाथ में लेकर लोगों के लिए परेशानी खड़ी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। समय से वेतन नहीं मिलने पर कर्मचारियों ने हड़ताल की घोषण की थी और सड़कों पर कूड़ा फेंक दिया था।