मुंबई पुलिस द्वारा राज्य पुलिस विभाग को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार विवादों में घिरे निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को पिछले साल जून में तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के जोर देने पर अपराध खुफिया इकाई (सीआईयू) में तैनात किया गया था। हालांकि तत्कालीन संयुक्त सीपी (क्राइम) ने इस पर आपत्ति जतायी थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वाझे ने वरिष्ठता क्रम का दरकिनार कर दिया और वह सीधे पुलिस आयुक्त (परम बीर सिंह) को रिपोर्ट करते थे। इसके अलावा वाझे ने टीआरपी घोटाले, डीसी (दिलीप छाबरिया) कार वित्तपोषण मामला, मुकेश अंबानी सुरक्षा मामला जैसे अहम विषयों पर पुलिस आयुक्त (सीपी) के साथ मंत्री स्तर की ब्रीफिंग में भाग लिया।
एक अधिकारी ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि परंपरा के अनुसार सीआईयू के प्रमुख पुलिस निरीक्षक रैंक के अधिकारी होते हैं, लेकिन वाझे के मामले में इसे दरकिनार कर दिया गया और वह सहायक पुलिस निरीक्षक (एपीआई) हैं। वाझे फिलहाल एनआईए की हिरासत में हैं। वाझे को उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास एक वाहन मिलने तथा व्यवसायी मनसुख हिरन की मौत मामलों में गिरफ्तार किया गया था। वाहन में जिलेटिन की छड़ें रखी थीं।
मुठभेड़ विशेषज्ञ वाझे को बहाल करने का निर्णय मुंबई पुलिस की पांच जून, 2020 को आयोजित बैठक में लिया गया था। वाझे को 2003 में बम विस्फोट के आरोपी ख़्वाजा यूनुस की कथित तौर पर हिरासत में मौत के बाद निलंबित कर दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार उस बैठक में मुंबई पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर (परम बीर सिंह), संयुक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन), अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (स्थानीय शस्त्र) और डीसीपी, मंत्रालय सुरक्षा उपस्थित थे।
स्थापना समिति की एक बैठक में वाझे के नाम को मंजूरी दिए जाने के बाद आठ जून को उन्हें अपराध शाखा में तैनात किया गया था। अधिकारी ने कहा कि उनकी तैनाती का आदेश नौ जून को जारी किया गया था। वाझे और 56 अन्य पुलिस अधिकारियों तथा कर्मचारियों के निलंबन को रद्द करने का कारण कोरोना वायरस महामारी के कारण कर्मियों की कमी बताया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) ने वाझे की सीआईयू में तैनाती के खिलाफ कड़ी आपत्ति जतायी थी। लेकिन तत्कालीन सीपी मुंबई (परम बीर सिंह) के आदेश पर नौ जून को आदेश जारी किया गया और वाझे सीआईयू में शामिल हो गए।