उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो मिलने के बाद पहले माहाराष्ट्र के पुलिस महकमे में काफी फेरबदल दिखे। अब इसका असर महाराष्ट्र की सियासत पर भी दिखने लगा है। बॉम्बे हाईकोर्ट के द्वारा सीबीआई जांच का आदेश देने के बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद विपक्षी पार्टी भाजपा महाविकास अघाड़ी सरकार को घेरने में जुट गई है।
सोमवार को केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता अनिल विश्वमुख द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद इस्तीफा देने के बाद सरकार चलाने का नैतिक अधिकार खो दिया है।उन्होंने कहा, “मुझे यह दिलचस्प लगता है कि अनिल देशमुख ने नैतिक जिम्मेदारी ली है। मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी का क्या? उद्धव ठाकरे ने सरकार चलाने की नैतिक जिम्मेदारी खो दी है।” आपको बता दें कि अनिल देशमुख ने ट्विटर पर दिए इस्तीफे पत्र में कहा कि वह उनके खिलाफ उच्च न्यायालय के आदेश के बाद गृह मंत्री के रूप में जारी रहना नैतिक रूप से सही नहीं मानते हैं।
मार्च में परमबीर सिंह ने उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया कि अनिल देशमुख ने निलंबित सचिन वाजे को होटल और बार से प्रति महीने 100 करोड़ रुपए इकट्ठा करने के लिए कहा था। मुंबई में मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक पाए जाने के बाद फरवरी के अंत में परमबीर सिंह का ट्रांसफर कर दिया। उन्होंने इसके बाद यह चिट्ठी भेजी थी। आपको बता दें कि सचिन वाझे को इसी मामले में एनआईए ने गिरफ्तार किया था। उनसे फिलहाल पूछताछ जारी है। वाझे के खिलाफ ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरन की मौत के संबंध में भी जांच की जा रही है, जिनकी कार मुकेश अंबानी के घर के पास मिली थी।
रविशंकर प्रसाद ने पूरे मामले पर सीएम की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “सीएम उद्धव ठाकरे कब बोलेंगे? उद्धव ठाकरे की सुसंगत, स्पष्ट चुप्पी अपने आप में कई सवाल खड़े कर रही है।”
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी उद्धव ठाकरे पर हमला किया। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री क्यों चुप हैं? उनकी चुप्पी अनिश्चित है।” HC के आदेश के बाद, फड़नवीस ने कहा था, “प्रारंभिक जांच में सच्चाई सामने आएगी। HC के आदेश के बाद देशमुख का मंत्री के रूप में बने रहना अनुचित है।”
एनसीपी नेता और राज्य मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद, अनिल देशमुख ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की। उन्हें लगा कि इस आदेश के बाद पद पर बने रहना ठीक नहीं है, इसलिए उन्होंने पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त की। मलिक ने कहा कि परमबीर सिंह के आरोप बेबुनियाद हैं। आपको बता दें कि एनसीपी नेता दिलीप वालसे पाटिल को गृह विभाग का प्रभार दिया गया है।