नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर आज संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए 12 घंटे के ‘भारत बंद’ के दौरान गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने रोड जाम कर सरकार के खिलाफ हल्लाबोल रखा है।
इस दौरान किसान प्रदर्शनकारियों ने जहां सुबह से ही एक बार फिर गाजीपुर बॉर्डर जाम कर दिया, वहीं किसानों ने एक ग्रुप ने यहां नाच-गाकर अपना विरोध जताया।
आज के ‘भारत बंद’ पर भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि हमारे आंदोलन को लगभग चार महीने पूरे होने जा रहे हैं। भारत बंद में हमें लोगों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टर का सहयोग मिल रहा है। इससे सरकार को संदेश जाएगा। हम वार्ता के लिए 24 घंटे तैयार हैं।
जानकारी के अनुसार, देश के कई हिस्सों में शुक्रवार को रेल और सड़क परिवहन के प्रभावित होने की संभावना है तथा बाजार भी बंद रह सकते हैं क्योंकि केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने संपूर्ण ‘भारत बंद का आह्वान किया है। हालांकि पांच चुनावी राज्यों में यह बंद नहीं होगा। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, देशभर में राष्ट्रव्यापी बंद 26 मार्च को सुबह छह बजे से जारी है जो शाम छह बजे तक चलेगा जो दिल्ली की तीन सीमाओं-सिंघु, गाजीपुर और टीकरी पर किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर किया जा रहा है।
किसान मोर्चा के नेता दर्शनपाल ने गुरुवार को एक वीडियो संदेश में कहा था कि बंद के दौरान सब्जियों और दूध की आपूर्ति भी रोकी जाएगी। मोर्चा ने एक बयान में कहा कि संपूर्ण भारत बंद के तहत सभी दुकानें, मॉल, बाजार और संस्थान बंद रहेंगे। सभी छोटे और बड़े मार्ग अवरुद्ध किए जाएंगे तथा ट्रेनों को रोका जाएगा। एंबुलेंस और अन्य आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाएं बंद रहेंगी। भारत बंद का प्रभाव दिल्ली में भी दिखेगा। उन्होंने आंदोलकारी किसानों से अपील की कि वे बंद के दौरान शांति बनाए रखें और किसी भी गलत चर्चा या टकराव में शामिल न होंवहीं, देश में आठ करोड़ व्यापारियों के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाली ‘कॉन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने कहा कि 26 मार्च को बाजार खुले रहेंगे क्योंकि वह ‘भारत बंद’ में शामिल नहीं है। संगठन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि हम भारत बंद में शामिल नहीं हो रहे हैं। दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में बाजार खुले रहेंगे। जारी गतिरोध का समाधान केवल वार्ता प्रक्रिया से किया जा सकता है। कृषि कानूनों में संशोधन पर चर्चा होनी चाहिए जो मौजूदा कृषि को लाभ योग्य बना सकते हैं।