हरियाणा के रेवाड़ी जिले में साल 2018 में अपनी सास की हत्या में शामिल बहू व उसके प्रेमी सहित तीन आरोपियों को अदालत ने दोषी करार देकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। केस की सुनवाई के दौरान मृतका के बेटों द्वारा बयान पलट दिए जाने के बावजूद आरोपी गुनाह की सजा से बच नहीं पाए।
जानकारी के अनुसार, 14 जून 2018 की रात को गांव कंवाली निवासी महिला ज्ञाना देवी जब अपने घर पर अकेली सो रही थी तो लक्ष्मण व मदन ने गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी। ज्ञाना देवी ने मरते दम तक उनका मुकाबला किया। उसके शरीर पर चोटों के 15 निशान भी पाए गए। हत्यारे ज्ञाना देवी का मर्डर करने के बाद उसका मोबाइल फोन एवं गहने भी साथ ले गए थे। ज्ञाना देवी के दो पुत्र मुकेश व नरेश हैं। उस समय मुकेश ने अज्ञात लोगों के खिलाफ खोल थाना में केस दर्ज कराया था।
जांच में हुआ ये खुलासा : जांच पड़ताल के बाद पता चला कि आरोपी खलियावास निवासी लक्ष्मण के नरेश की पत्नी सविता के साथ अवैध संबंध थे और इन्हीं प्रेम प्रसंगों के चलते हत्याकांड को अंजाम दिया गया था, लेकिन इस हत्याकांड का उस समय पर्दाफाश हुआ, जब अपने साथ ले गए मोबाइल फोन को आरोपी लक्ष्मण ने नई सिम डालकर चालू किया। ईएमईआई व सीडीआर से पता चला कि ज्ञाना देवी का मोबाइल फोन लक्ष्मण के पास है। तत्पश्चात मृतका के बेटे नरेश ने इसकी जानकारी पुलिस को दी और हत्या में लक्ष्मण के शामिल होने का संदेह जताया। उसने पुलिस को यह भी बताया कि उसकी पत्नी सविता के लक्ष्मण के साथ अवैध संबंध थे, जिसे लेकर उसका लक्ष्मण के साथ झगड़ा भी हुआ था।
मोबाइल की लोकेशन ट्रेस कर हत्या की गुत्थी सुलझाई
पुलिस ने इस जांच को आगे बढ़ाते हुए सविता, लक्ष्मण और उसके साथी धारूहेड़ा निवासी मदन को गिरफ्तार कर जब उनके मोबाइल फोन की लोकेशन ट्रेस की तो 14 जून की रात को उनकी लोकेशन कंवाली की पाई गई। इसके बाद पुलिस ने तमाम सबूत एकत्रित किए और हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाया। अभियोजन पक्ष की तरफ से डिप्टी डीएआर के. श्योराण एवं एवं एडवोकेट राजेंद्र सिंह ने पैरवी की। दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कुलदीप सिंह ने उनको दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने लक्ष्मण व मदन पर 35-35 हजार रुपये का जुर्माना और सविता पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। इस केस में दिलचस्प बात यह है कि सुनवाई के दौरान मृतका के दोनों बेटे मुकेश और नरेश अदालत के सामने पुलिस को दिए बयानों से पलट गए थे। परंतु परिस्थितिजन्य सबूतों की कड़ी इतनी मजबूत थी कि दोषी कानून के शिकंजे से बच नहीं पाए।