बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को निर्देश दिया है कि अगर वो रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की जरूरत लगती है तो तीन दिन पहले नोटिस देना पड़ेगा। बता दें कि पिछले हफ्ते बुधवार को टीआरपी मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस से सवाल किया था कि इस मामले अगर गोस्वामी के खिलाफ ठोस सबूत हैं तो आरोप पत्र में उनका नाम क्यों नहीं है? कोर्ट ने मुंबई पुलिस से पूछा कि रिपब्लिक चैनल के स्वामित्व वाली कंपनी के कर्मचारियों पर और कितने दिनों तक संदिग्ध आरोपी के रूप में तलवार टांग रखोगे। कोर्ट ने पुलिस से मामले की जांच के लिए समय के बारे में पूछा।
कथित फेक टीआरपी केस पिछले साल सामने आया था जब ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ टेलीविजन चैनल टीआरपी नंबर्स में हेरफेर कर रहे हैं, ताकि विज्ञापन से अधिक रेवेन्यू अर्जित कर सकें। बुधवार को कोर्ट ने कोई बहस सुने बिना मामले को स्थगित कर दिया, क्योंकि रिपब्लिक टीवी के वकील हरीश साल्वे पेश नहीं हो सके और दूसरे सीनियर वकील परिवार में किसी मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से फंस गए थे।
वहीं, महाराष्ट्र पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ 2018 के खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में में चार्जशीट फाइल कर दी है। मीडिया रिपोर्ट में सरकारी वकील की ओर से बताया गया था कि पुलिस की चार्जशीट में अर्नब गोस्वामी के अलावा दो और लोग फिरोज शेख और नीतीश सारदा का नाम शामिल है।