एनसीआर के शहरों की हवा एक बार फिर खराब होने लगी है। गुरुवार को ग्रेटर नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक रहा। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 404 दर्ज किया गया। इसके अलावा नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी प्रदूषण का स्तर काफी अधिक रहा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के समीर ऐप के अनुसार, गुरुवार को ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 404 दर्ज किया गया, जबकि गाजियाबाद का एक्यूआई 382, नोएडा का 344, फरीदाबाद का 330, नई दिल्ली का 308 और गुरुग्राम का एक्यूआई 312 दर्ज किया गया। ऐप के अनुसार, आगरा का एक्यूआई 320, बागपत का 344, बल्लभगढ़ का 359, भिवानी का 185, लखनऊ का 337, मेरठ का 370, मुरादाबाद का 357, मुजफ्फरनगर का 320, पानीपत का 289 और सोनीपत का एक्यूआई 311 दर्ज किया गया।
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ (आपात) श्रेणी में माना जाता है।
अखिलेश ने बढ़ते प्रदूषण के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया
वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्विस संगठन द्वारा जारी वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरा है। अखिलेश ने गुरुवार को ट्वीट किया कि अगर प्रदेश की भाजपा सरकार उनकी पूर्ववर्ती सरकार में शुरू किए गए पर्यावरण संरक्षण में योगदान करने वाले कार्यों को नहीं रोकती तो आज उसे यह दिन नहीं देखना पड़ता।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 10 शहर उत्तर प्रदेश के हैं और राजधानी लखनऊ दुनिया में नौवें नंबर पर है। अगर सपा सरकार के सार्वजनिक परिवहन मेट्रो, साइकिल ट्रैक, गोमती रिवर फ़्रंट, पार्क और सफारी जैसे पर्यावरणीय काम न रोके होते तो आज भाजपा सरकार को यह दिन नहीं देखना पड़ता।