दिल्ली की एक अदालत ने बलात्कार के मामले में आरोपी मुंबई के एक टीवी पत्रकार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच पहले हुए अनुभवों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि पीड़िता ने अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए सहमति दी थी।
विशेष न्यायाधीश संजय खनगवाल ने वरुण हिरेमठ द्वारा दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यदि पीड़ित महिला ने अदालत के सामने पेश हुए साक्ष्यों में यह कहा है कि उसने सहमति नहीं दी थी तो अदालत यह मानेगी की उसने सहमति नहीं दी थी।
शिकायतकर्ता 22 वर्षीय युवती ने आरोप लगाया है कि 20 फरवरी को चाणक्यपुरी के एक पांच सितारा होटल में हिरेमठ ने उससे बलात्कार किया। आरोपी के वकील ने आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम पर हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा था कि दोनों के बीच पहले भी यौन संबंध हुआ था।
बचाव पक्ष के वकील ने अदालत के सामने कहा था कि शिकायतकर्ता ने सहमति से आरोपी के साथ यौन संबंध बनाए थे तथा उसके शरीर पर विरोध का कोई निशान नहीं था जिससे पता चलता है कि उसने इसके लिए मना नहीं किया और इसकी इजाजत दी। अदालत ने इन दलीलों को नकार दिया और अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
हालांकि, जज ने कहा कि इस बिंदु पर भी मैं इस बात पर विचार कर रहा हूं कि अभियोजन पक्ष ने अपनी शिकायत के साथ-साथ धारा 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज कराए अपने बयान में विशेष रूप से इनकार किया है कि उसकी सहमति थी और उसने बार-बार उल्लेख किया है कि उसके विरोध और ऐतराज के बावजूद आरोपी उसके साथ ऐसा ही करता रहा और वह विरोध करने में सक्षम नहीं थी क्योंकि वह आरोपी के व्यवहार में आक्रामकता के कारण डर रही थी।
अदालत ने 12 मार्च को दिए अपने आदेश में यह भी कहा कि आरोपी और पीड़ित के कुछ वॉट्सऐप चैट में आरोपी द्वारा कथित अपराध के बाद अपने कृत्य पर खेद प्रकट किया है। इसमें कहा गया है कि शिकायतकर्ता और अभियुक्त के आचरण के साथ सहमति का सवाल जांच का विषय था और यह केवल अग्रिम जमानत याचिका पर विचार कर रहा था।
हालांकि, अभियोजन पक्ष द्वारा वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम चैट को लेकर विशेष रूप से इस बात से मना नहीं किया गया है कि वे रिलेशनशिप में थे और सेक्सुअल बातचीत में लिप्त थे, लेकिन इससे भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 53 ए के मद्देनजर इस स्तर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
अदालत ने कहा कि आरोपी के साथ उसके पिछले अनुभवों से सहमति नहीं हो सकती है। अदालत ने आगे कहा कि कानून के अनुसार जहां तक सहमति या सहमति के बारे में सवाल नहीं है, अगर महिला अदालत के सामने अपने साक्ष्य में बताती है कि उसने सहमति नहीं दी, तो अदालत यह मान लेगी कि उसने सहमति नहीं दी है।