जापान और अमेरिका ने मंगलवार को संयुक्त रूप से एशिया में चीन की जोर-जबरदस्ती और आक्रमकता की आलोचना की। दरअसल, राष्ट्रपति जो बाइडन के सत्ता में आने बाद दोनों देशों में शीर्ष मंत्रियों के स्तर पर मंगलवार को पहली बातचीत हुई है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने जापानी समकक्षों रक्षा मंत्री नोबुओ किशि और विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोटोगी के साथ टू प्लस टू वार्ता की। बातचीत के बाद ब्लिंकन ने कहा कि क्षेत्र में लोकतंत्र और मानवाधिकार को चुनौती दी जा रही है और अमेरिका मुक्त और स्वतंत्र हिन्दी-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करेगा। ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन प्रशासन अमेरिका के सहयोगियों और क्षेत्र में चीन तथा उसके सहयोगी उत्तर कोरिया से चुनौती महसूस करने वालों के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि चीन अगर अपने हित में जोर-जबरदस्ती और आक्रमकता अपनाता है तो जरूरत पड़ने पर हम उसे पीछे धकेलेगे।
शिंजियांग पर बात
वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में मंत्रियों ने चीन के शिंजियांग प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन, दक्षिण चीन सागर में गैरकानूनी समुद्री क्षेत्र के दावों और गतिविधियों, और पूर्बी चीन सागर में जापान के नियंत्रण वाले द्वीपों पर यथा स्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास पर गंभीर चिंता जताई। गौरतलब है कि चीन पूर्वी चीन सागर में स्थित जापान के नियंत्रण वाले द्वीपों पर अपने हक का दावा करता है। बयान में ताईवान जलडमरुमध्य में भी शांति और स्थिरता के महत्व पर जोर दिया गया।
म्यांमार पर भी चर्चा
बाइडन प्रशासन के कैबिनेट की पहली विदेश यात्रा के दौरान ब्लिंकन और ऑस्टिन अपने जापानी समकक्षों के साथ कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन पर साथ मिलकर काम करने को जारी हुए। साथ ही दोनों पक्ष उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे और म्यांमार में सैन्य तख्ता पलट से उत्पन्न स्थिति पर भी सहयोग को राजी हुए। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने जापानी मंत्रियों को अमेरिका आने का न्योता देने की जगह अपने दो शीर्ष मंत्रियों को जापान यात्रा पर भेजा है, जो एशियाई देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
हमारे साझा मूल्य
टू प्लस टू वार्ता से पहले विदेश मंत्री मोटेगी के साथ बातचीत के दौरान ब्लिंकन ने कहा था कि हमने यूं ही पहली कैबिनेट स्तरीय यात्रा के लिए जापान को नहीं चुना है। उन्होंने कहा कि वह और ऑस्टिन, गठबंधन के प्रति समर्पण को दृढता प्रदान करने और उसे और आगे ले जाने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा पर साथ मिलकर काम कर रहे हैं और हमारे साझा मूल्यों का समर्थन कर रहे हैं।
ब्रिटेन अपनी विदेश नीति में देगा हिंद-प्रशांत मुद्दे पर जोर
ब्रिटेन को अपने आप को दुनिया में हुए बड़े बदलावों के अनुकूल ढालने के लिए और कदम उठाना चाहिए तथा अपनी विदेश नीति में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ हिंद-प्रशांत पर जोर देना चाहिए। मंगलवार को सामने आये देश के ब्रेग्जिट के बाद के ग्लोबल ब्रिटेन दृष्टिपत्र में यह बात कही गई है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अगले महीने भारत की यात्रा पर जाने की पुष्टि करते हुए इस तथाकथित हिंद प्रशांत झुकाव को सामने रखा। यह दक्षिणपूर्व एशियाई देश संघ (आसियान) के साझेदार दर्जा तथा इस क्षेत्र में रॉयल नेवी के जंगी विमान क्वीन एलिजाबेथ की तैनाती के लिए आवेदन है।