मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी जैसे बड़े और ममता के बेहद करीबी माने जाने वाले नेता तृणमूल कांग्रेस से नाता तोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो चुके हैं। हालांकि, टीएमसी सुप्रीमो अपने एक नेता पर अब भी आंख मूंदकर भरोसा करती हैं। सुब्रत मुखर्जी ही वह शख्स हैं, जो किसी गलती के लिए ममता को टोक देते हैं और उन्हें अपनी राय देने में संकोच नहीं करते।
अपनी साफगोई के लिए मशहूर सुब्रत का पार्टी में बेहद खास है और वह ममता के सबसे विश्वसनीय साथी माने जाते हैं, लेकिन वे सुर्खियों से दूर रहकर और अक्सर पर्दे के पीछे रहकर अपने काम को अंजाम देते हैं। भवानीपुर के विधायक चुने गए सुब्रत ने ममता बनर्जी को 2011 में जीत के बाद विधानसभा भेजने के लिए यह सीट खाली कर दी थी।
बताया जाता है कि बख्शी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के स्टू़डेंट विंग छात्र परिषद से की थी। लेकिन ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़ने के बाद जब 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी तो बख्शी ने भी कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और ममता के साथ जुड़ गए। तब से अब तक वह हर कदम पर ‘दीदी’ का साथ देते आए हैं। एक बैंककर्मी के रूप में करियर की शुरुआत करने वाले सुब्रत वीआरएस लेकर राजनीति में आए थे।
टीएमसी में शामिल होने के बाद सुब्रत कम ही समय में ममता बनर्जी के खास लोगों की टीम में शामिल हो गए थे। इस टीम के कई सदस्य अब नाराज होकर साथ छोड़ चुके हैं, लेकिन सुब्रत टस से मस नहीं हुए। 2011 में ममता बनर्जी के लिए अपनी सीट कुर्बान करने वाले सुब्रत को पार्टी ने ममता बनर्जी की साउथ कोलकाता सीट देकर लोकसभा में भेज दिया था। दो बार यहां से जीत हासिल करने वाले सुब्रत अब राज्यसभा सांसद हैं।
पार्टी के नेता कहते हैं कि बख्शी दा ही केवल वह शख्स हैं जो पार्टी सुप्रीमो को किसी गलती पर टोक सकते हैं। यही वजह है कि ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की पार्टी में बढ़ती हैसियत के बावजूद सुब्रत के मान-सम्मान में कोई कमी नहीं आई। जबकि पार्टी के कई नेता अभिषेक बनर्जी के हस्तक्षेप को वजह बताकर अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं।