कांग्रेस द्वारा यह कहे जाने के बाद कि वह हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) गठबंधन वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने शुक्रवार को बताया कि उन्हें ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि बजट पर चर्चा 15 मार्च को होगी। गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सत्र का विस्तार करने का प्रस्ताव रखा था। अब बजट सत्र 18 मार्च तक होगा और जरूरत पड़ने पर इसे 19 मार्च तक बढ़ाया जाएगा।
अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए गुप्ता ने कहा कि जहां तक अविश्वास प्रस्ताव का संबंध है, मुझे अब तक कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। यदि मुझे प्रस्ताव मिलता है तो हम 18 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव का समर्थन किए जाने के बाद इस पर चर्चा करेंगे। विपक्ष इसे ला सकते हैं, हम इसे नियम के अनुसार आगे ले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि आज साल का पहला सत्र है, यह 16 मार्च तक चलने की संभावना है। अंतिम तिथियों का उल्लेख व्यावसायिक सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक के बाद किया जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, उपसभापति रणबीर गंगवा, संसदीय कार्य मंत्री कंवर पाल और कांग्रेस विधायक आफताब अहमद बीएसी की बैठक में शामिल हुए।
पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुवार को कहा था कि कांग्रेस हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी सरकार के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव देगी।
पहले बजट की घोषणा 10 मार्च को होनी थी, लेकिन बीएसी की बैठक के बाद सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि बजट 12 मार्च को दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक प्रस्तुत किया जाएगा और बजट दिवस पर कोई प्रश्नकाल नहीं होगा।
गुप्ता ने कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल को अस्वीकार कर दिया गया है क्योंकि यह नियमों के अनुरूप नहीं था क्योंकि जब कोई मामला कोर्ट में विचाराधनीन होता है, तो उस पर विधानसभा में चर्चा नहीं की जा सकती।
एएनआई से बात करते हुए, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल जो विपक्षी नेता द्वारा भेजा गया था, वह नियमों के अनुरूप नहीं था क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है और जो मामला कोर्ट में चल रहा होता है उस पर विधानसभा में चर्चा नहीं की जा सकती, यही कारण है कि इसे खारिज कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि केवल केंद्र सरकार ही नए कृषि कानूनों में संशोधन कर सकती है, राज्य सरकार नहीं।