अमेरिका ने सैटलाइट तस्वीरों के जरिए चीन की पोल खोलने का काम किया है। अमेरिकी सैटलाइट तस्वीरों के मुताबिक चीन मिसाइलों को रखने के लिए अंडरग्राउंड फैसिलिटी तैयार करने में जुटा है। अमेरिका ने सैटलाइट इमेज के लिए खुलासा किया है कि चीन 16 नई फैसिलिटीज तैयार करने में जुटा है, जहां मिसाइलें रखी जाएंगी। ‘फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट’ से जुड़े हैंस क्रिस्टेनसन लंबे अरसे से अमेरिका, रूस और चीन की परमाणु ताकत पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा, ऐसा मालूम होता है कि चीन भूमिगत साइलो से नई परमाणु मिसाइलों के प्रक्षेपण की क्षमता विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इसका मकसद कोई भी परमाणु हमला होने की सूरत में फौरन जवाबी कार्रवाई करने की अपनी क्षमता में सुधार लाना है।
क्रिस्टेनसन के मुताबिक तस्वीरें संकेत देती हैं कि चीन अमेरिका से बढ़ते टकराव का मुकाबला करने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका अपने नए परमाणु शस्त्रागार के निर्माण के लिए आगामी दो दशक में सैकड़ों अरबों डॉलर खर्च को न्यायोचित ठहराने के लिए चीन के परमाणु आधुनिकीकरण का हवाला देता रहा है। हालांकि, इस बात का कोई संकेत नहीं है कि अमेरिका और चीन सशस्त्र संघर्ष की ओर आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन क्रिस्टेनसन की रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है, जब व्यापार से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक कई मुद्दों पर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है।
पेंटागन ने क्रिस्टेनसन के विश्लेषण पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, लेकिन उसने चीनी सैन्य विकास पर पिछली गर्मियों में अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि बीजिंग अपने परमाणु बलों की शांतिकाल में तत्परता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। क्रिस्टेनसन ने कहा कि उन्हें मिली वाणिज्यिक उपग्रह तस्वीरें दर्शाती हैं कि चीन ने उत्तर-मध्य चीन में जिलनताई के निकट एक बड़े मिसाइल प्रशिक्षण रेंज में 11 भूमिगत साइलो का पिछले साल के अंत से निर्माण आरंभ किया। पांच अन्य साइलो बनाने का काम पहले ही शुरू हो चुका था।
18 से 20 साइलो पहले से मौजूद
-क्रिस्टेनसन की मानें तो बीजिंग के पास 18 से 20 साइलो पहले से ही हैं। इनका वह पुरानी अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) डीएफ-5 के साथ संचालन करता है। वहीं, अमेरिकी वायुसेना के बेड़े में 450 और रूस के पास 130 साइलो मौजूद हैं।