देशभर के निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी (EWS Category) के बच्चों को 12वीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा देने के लिए आदेश के बाद भी शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) में संशोधन नहीं किए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। कोर्ट ने सरकार के वकील से पूछा कि कानून के तहत निजी स्कूलों में पढ़ने वाले ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चे आठवीं कक्षा के बाद आखिर कहां जाएंगे? दरअसल, शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में इस श्रेणी के बच्चों के लिए सिर्फ आठवीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है।
जस्टिस नज्मी वजीरी ने इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय शिक्षा सचिव को संक्षिप्त हलफनामा दाखिल कर यह बताने के लिए कहा है कि उन्होंने शिक्षा के अधिकार कानून के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों के लिए 12वीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान करने के आदेश का पालन क्यों नहीं किया है? हाईकोर्ट ने यह आदेश वकील अशोक अग्रवाल की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर विचार करते हुए दिया है। कोर्ट ने केंद्रीय शिक्षा सचिव से मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है।
वकील अग्रवाल ने याचिका में कहा है 9 दिसंबर 2019 को हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने केंद्र सरकार को 12वीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा मुहैया कराने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि आदेश के एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सरकार ने कानून में संशोधन के लिए कोई समुचित कदम नहीं उठाया।
वकील अग्रवाल ने हाईकोर्ट को बताया शिक्षा का अधिकार कानून में फिलहाल ईडब्ल्यूएस श्रेणी व वंचित समुदाय के बच्चों के लिए निजी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा मुहैया कराने का प्रावधान है, लेकिन इस कानून के तहत दाखिला लेने वाले बच्चों को स्कूल आठवीं कक्षा के बाद फीस देने अन्यथा स्कूल से बाहर करने कर रहे हैं। उन्होंने पहले बताया था यदि शिक्षा का अधिकार कानून में संशोधन करके 12वीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान नहीं किया गया तो, कानून का मकसद पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यदि कानून में संशोधन नहीं हुआ तो आठवीं के बाद ईडब्ल्यूएस श्रेणी और वंचित समूह के बच्चे स्कूल छोड़ देंगे।
हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने गैर सरकारी संगठन सोशल जूरिस्ट की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर विचार करते हुए केंद्र सरकार को शिक्षा के अधिकार में कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया था। इसके तहत पीठ ने ईडब्ल्यूएस और वंचित समूह के बच्चों के लिए 12वीं कक्षा तक शिक्षा को निशुल्क करने का प्रावधान करने का आदेश दिया था।