बिहार विधानसभा परिसर में बुधवार को माले विधायकों ने सूबे में अपराध मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया। हाथ में पोस्टर लिए माले विधायकों ने राज्य सरकार के खिलाफ की नारेबाजी की। विधायकों ने आरोप लगाया कि मंत्रिमंडल में भी संगीन अपराध के आरोपी शामिल हैं। विधायकों ने नीतीश सरकार से इन आरोपियों को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की। वहीं राजद विधायकों ने भी विधानसभा के मुख्य द्वार पर रोजगार और महंगाई के मुद्दे पर नीतीश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी की।
बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्मस (एडीआर) और इलेक्शन वॉच की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि नीतीश कैबिनेट के 31 सदस्यों में से 18 यानी 64 प्रतिशत मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 14 के खिलाफ दर्ज मामले गंभीर आपराधिक किस्म के हैं। यह रिपोर्ट 28 मंत्रियों के आत्म शपथ पत्र के विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है। दो मंत्री अशोक चौधरी और जनक राम अभी विधानसभा या विधानपरिषद के सदस्य नहीं हैं इसलिए उनके शपथपत्रों का विश्लेषण नहीं हो सका है।
भाजपा कोटे से मंत्री रामसूरत कुमार के ब्यौरे का भी विश्लेषण नहीं किया जा सका है। बताया जा रहा है कि उनका पूरा ब्यौरा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार गंभीर आपराधिक मामलों के साथ कैबिनेट के 14 मंत्रियों में से भाजपा के सर्वाधिक 11 (57%) और जदयू के तीन (27%) मंत्री हैं। गम्भीर आपराधिक मामलों वाले तीन अन्य मंत्रियों में हम, विकास इंसान पार्टी और एक निर्दलीय शामिल हैं।
हालांकि इतनी बड़ी संख्या में दागी नेताओं के चुने जाने पर किसी को हैरानी नहीं है। एडीआर और इलेक्शन वॉच की एक पूर्व की रिपोर्ट के अनुसान हाल में चुने गए सभी पार्टियों के 243 नेताओं में से 163 (68%) ने खुद पर आपराधिक मामलों की जानकारी दी थी। यह पिछली बार से ज्यादा है। 2015 विधानसभा चुनाव 243 में से 142(58%) ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी दी थी। इस बार जीत हासिल करने वाले 123 (51%) विधायकों के खिलाफ गंभीर किस्म के आपराधिक मामले दर्ज हैं। जबकि पांच साल पहले 98 के खिलाफ दर्ज थे। इस बार 19 के खिलाफ हत्या, 31 के खिलाफ हत्या के प्रयास, आठ के खिलाफ महिला के विरुद्ध अपराध के मामले दर्ज हैं।