चीन के समाज में बढ़ते उम्र वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिससे परेशान होकर चीन पिछले कई समय से जन्म पर लगे नियमों में ढील देता आ रहा है।अब अपनी गिरती जन्मदर को सुधारने के लिए चीन अपने उत्तरपूर्वी प्रांतों में जन्म पर लगे प्रतिबंध हटाने जा रहा है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने पिछले अगस्त में एक बयान में सुझाव दिया था कि देश के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में जन्मदर सुधारने की “व्यापक जन्म नीति पायलट योजना” लागू की जा सकती है।
चीन के इतिहास में अक्सर ऐसा देखा गया है कि वह पहले कुछ क्षेत्रों में नई नीतियों का परीक्षण करने और फिर सफल होने पर उन्हें राष्ट्रव्यापी बनाता है।
दूसरे देशों के मुकाबले चीन की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है, इसका कारण दशकों की जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अपनाए गए परिवार नियोजन के उपाय हैं।
यहां तक कि हाल के वर्षों में उन नीतियों के शिथिल पड़ने के साथ जन्मतिथि में गिरावट जारी रही है, 2019 में कम से कम 1949 के बाद से गिरकर यह सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई।
2020 में भी इसका गिरना जारी रहा है, जिसमें नवजात शिशुओं की संख्या लगभग 15% घट गई। पूरा डेटा अप्रैल में जारी किया जाएगा। कम्युनिस्ट पार्टी ने 14 वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान जन्म प्रतिबंधों को और कम करने की इच्छा व्यक्त की है।
पूर्वोत्तर प्रांतों ऐसा इलाका है जहां देश सबसे कम जन्मजात दर है और आयोग ने कहा कि वे इस पर शोध कर सकते हैं कि कैसे जन्म पर लगे प्रतिबंध उठाने से स्थानीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक स्थिरता पर असर पड़ेगा। हालांकि, बयान में कहा गया है कि वर्तमान अपेक्षाकृत ढीले प्रतिबंधों के बावजूद इस क्षेत्र में बच्चे पैदा करने की इच्छा कम है।
सार्वजनिक सेवाओं और बच्चों की परवरिश को लेकर चिंताओं को दूर करने के बारे में जारी किए एक बयान में कहा “सामाजिक-आर्थिक कारक जन्म से प्रभावित होने वाले एक महत्वपूर्ण कारक बन गए हैं, विशेष रूप से आर्थिक बोझ, शिशु और बच्चे की देखभालऔर महिलाओं के कैरियर का विकास।”