03.01.2020
सुलेमानी अमेरिका के कितने पुराने दुश्मन थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच खूनी जंग में उनकी अहम भूमिका थी। इस युद्ध में अमेरिका ने इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन का साथ दिया था।
इराक की राजधानी बगदाद में एयरपोर्ट के पास अमेरिकी हवाई हमले में ईरानी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई
कुद्स फोर्स का जिम्मा संभालने वाले कासिम को अमेरिका के बड़े दुश्मनों में शुमार किया जाता था। इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के मुकाबले उन्होंने कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट करने का काम किया था
इराक की राजधानी बगदाद में एयरपोर्ट के पास अमेरिकी हवाई हमले में ईरानी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई। रॉकेट से किए गए इस हमले में कम से कम 7 लोगों के मारे जाने की बात की जा रही है। कासिम के अलावा इराक में ईरानी समर्थक सशस्त्र बल के डेप्युटी कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस की भी मौत हो गई।
4 दशकों से अमेरिका के लिए सिरदर्द थे कासिम सुलेमानी।
खासतौर पर इराक में उनकी अहम भूमिका थी। बगदाद को इस्लामिक स्टेट के आतंक से बचाने के लिए उनके ही नेतृत्व में ईरान समर्थक फोर्स का गठन हुआ था, जिसका नाम पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स था। सुलेमानी अमेरिका के कितने पुराने दुश्मन थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच खूनी जंग में उनकी अहम भूमिका थी। इस युद्ध में अमेरिका ने इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन का साथ दिया था।
हमले के बाद जलती कार
इराक में बनाई थी ईरान समर्थक मिलिशिया: इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट जैसे खूंखार आतंकी संगठन के मुकाबले उन्होंने कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट करने का काम किया था। इराक में ईरान के समर्थन से तैयार पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स को कासिम ने ही तैयार किया था। कासिम सुलेमानी का मारा जाना ईरान के लिए बड़े झटके की तरह है, जो इराक और सीरिया में अमेरिकी दखल के खिलाफ है। माना जाता है कि सुलेमानी ने हथियार बंद संगठन हिजबुल्लाह, फिलिस्तीन में सक्रिय आतंकी संगठन हमास को समर्थन दिया था। सीरिया में बशर अल-असद सरकार को भी कासिम सुलेमानी का समर्थन प्राप्त था।
दुश्मनों को कुचलने के लिए थे मशहूर सुलेमानी: ईरान के सुदूर दक्षिणपूर्व इलाके के एक गरीब परिवार से आने वाले सुलेमानी इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड में शामिल हुए थे। इस गार्ड का गठन देश की सुरक्षा और विचारधारा को कड़ाई से लागू करने के लिए किया गया था। पड़ोसी इराक के साथ 1980 और 1988 में हुए युद्ध के दौरान रिवॉल्यूशनरी गार्ड के पास राजनीतिक और आर्थिक शक्ति भी आई। इराक में हुए खूनी संघर्ष ने सुलेमानी को आगे बढ़ने में काफी मदद पहुंचाई। उम्र के 20वें साल में ही सुलेमानी ने दुश्मनों के खिलाफ कई मिशन को अंजाम दिया। उन्हें ईरान के दुश्मनों को कुचलने के लिए जाना जाता है। 1990 के दशक के आखिरी सालों में उन्हें कुद्स गार्ड का चीफ बना दिया गया। कुद्स गार्ड के ऊपर लेबनान में हिजबुल्लाह को बढ़ावा देने का आरोप लगा
अमेरिकी दूतावास पर हमले का लिया बदला? : कासिम सुलेमानी को अमेरिका ने ऐसे वक्त में मारा है, जब कुछ दिनों पहले ही बगदाद स्थित उसके दूतावास पर हुए हमले में ईरान का हाथ होने की बात सामने आ रही थी। इस हमले के बाद अमेरिका रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा था कि खेल अब बदल चुका है। उन्होंने कहा था कि ईरान के समर्थन वाले सशस्त्र बलों का अमेरिकी मिलिट्री फोर्सेज की ओर से भी करार जवाब दिया जाएगा।
लाल अंगूठी से सुलेमानी की मौत की पुष्टि: कासिम सुलेमानी के मारे जाने की पुष्टि उनके हाथ की अंगुठी से भी हुई है। वह हमेशा अपनी एक अंगुली में लाल रंग के नग वाली अंगूठी पहनते थे। इराकी पत्रकार स्टीवन नाबिल ने एक ट्वीट कर सुलेमानी की एक पुरानी तस्वीर और मौत के बाद की फोटो साझा की है। दोनों ही तस्वीरों में उनकी अंगुली में लाल रंग की अंगूठी दिखती है।