सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सुब्रत पाठक ने राजधानी के एक प्रापर्टी डीलर को अगवा कर देवरिया जेल में मारने-पीटने व उससे जबरिया रंगदारी वसूलने के एक मामले में पूर्व सांसद अतीक अहमद के पुत्र मो. उमर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। साथ ही इस मामले में मो. उमर, नीतेश मिश्रा, महेंद्र कुमार सिंह व योगेश कुमार के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को नियत की है।
सीबीआई ने अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 329, 364ए, 386, 394, 411, 420, 467, 468, 471, 506 व 120बी में आरोप पत्र दाखिल किया है। सीबीआई के सब इंसपेक्टर व विवेचक नीरज कुमार वर्मा ने 21 पन्नों के पूरक आरोप पत्र में 19 गवाह व 47 दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए हैं। थाना कृष्णानगर से संबधित इस मामले की विवेचना पहले स्थानीय पुलिस कर रही थी। विवेचना के दौरान पुलिस ने अतीक अहमद समेत आठ अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। 23 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित कर इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। 12 जून, 2019 को सीबीआई ने इस मामले में अतीक अहमद, फारुख, जकी अहमद, मो. उमर, जफर उल्लाह, गुलाम सरवर व 12 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु की। सीबीआई की विवेचना अभी प्रचलित है।
ये है पूरा मामला :
29 दिसंबर, 2018 को रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक देवरिया जेल में निरुद्ध अतीक ने अपने गुर्गो के जरिए गोमतीनगर आफिस से उसका अपहरण करा लिया। तंमचे के बल पर उसे देवरिया जेल ले जाया गया। अतीक ने उसे एक सादे स्टाम्प पेपर पर दस्तखत करने को कहा। उसने इंकार कर दिया। इस पर अतीक ने अपने बेटे उमर तथा गुर्गे गुरफान, फारुख, गुलाम व इरफान के साथ मिलकर उसे तंमचे व लोहे की राड से बेतहाशा पीटा। उसके बेसुध होते ही स्टाम्प पेपर पर दस्तखत बनवा लिया और करीब 45 करोड़ की सम्पति अपने नाम करा ली। साथ ही जानमाल की धमकी भी दी। अतीक के गुर्गो ने उसकी एसयूवी गाड़ी भी लूट ली।