उत्तराखंड के तपोवन जल विद्युत परियोजना के बाहर तबाही का मंजर पसरा है। नदी में आई गाद, रेत और मिट्टी कचारों ओर फैली है। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, प्रशासन, पुलिस समेत सेवा इंटर नेशनल के स्वयं सेवी 24 घंटे सुरंग के बाहर सेवा, खोजबीन और राहत अचाव अभियान में जुटे हैं। अंधेरी सुरंग में जिंदगी बचाने के लिए रेस्क्यू अभियान देर रात तक चला। टनल के बाहर भी मलबा और भीतर कई मीटर तक टनों कीचड़ ही कीचड़। टनल के भीतर एक-एक कदम उठाना भी किसी मुसीबत से कम नहीं। कब कहां पांव धंस जाए पता नहीं।
सोमवार को टनल में रेस्क्यू अभियान चला रही एसडीआरएफ टीम को कदम कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा। टनल के भीतर के हालात में रेस्क्यू आपरेशन चलाना बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। एडीआरएफ के कमांडेंट नवनीत भुल्लर की कमान में रेस्क्यू टीम आज भी टनल से कीचड़ को हटाकर भीतर फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए जूझती रही। लेकिन टनल में कई कई फीट मोटी गाद जमा है। भुल्लर और उनके साथ हेड कांस्टेबल नवनीत भुल्लर कमांडेट- एसडीआरएफ हेड कांस्टेबल एससी भागा, देवेंद्र नेगी, कांस्टेबल राकेश राणा, गब्बर सिंह, रवि चौहान, संजय उप्रेती टनल में गए। लेकिन भीतर कीचड़ में आगे बढ़ते हुए पूरी तरह से कीचड़ में ही लथपथ हो गए। देर शाम तक रेस्क्यू टीम मलबे की सफाई के लिए जूझती रही, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई।
भुल्लर ने बताया कि भीतर बोल्डर काफी जमा है। इससे मैन्युअली काम करना बहुत कठिन है। जेसीबी की मदद से ही बोल्डर को आया जा रहा है। 80 मीटर तक टनल को साफ कर लिया गया है। आगे गाद टनल की छत तक भरी है। सूत्रों के अनुसार आज रेस्क्यू अभियान को नेवी टीम का साथ भी मिल गया है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, जिला अधिकारी स्वाति एस भदौरिया, पुलिस अधीक्षक यशवन्त स़िंह ,एसडीआरआरएफ की डीआईजी रिधिम अग्रवाल टनल के सामने रेस्क्यू अभियान को संचालित करते रहे। तपोवन विद्युत सुरंग में फंसे 35 लोगों की तलाश के लिए युद्ध स्तर पर कार्य हो रहा है। यह सुरंग 3 मीटर चौड़ी है। इसके प्रवेश द्वार से एक बार में एक ही मशीन अंदर जा सकती है । तपोवन के कुंवर सिंह कनियाल, रूप सिंह फर्स्वाण बताते हैं कि अंधेरी सुरंग में गाद भरी है।
कार्यरत कम्पनी रितिक के अधिकारी राकेश डिमरी और एचसीसी के नीरज कंसल बताते हैं कि सुंरग के अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। तपोवन के ओम प्रकाश डोभाल कहते हैं कि सुरंग में गाद भरी है। सुरंग मीटर की है। 1800 मीटर तक सुरंग सपाट है। इसमें फंसे लोगों को बचाने के लिए मशीनें जुटीं हैं।
रैणी में वैली ब्रिज बनाने का काम शुरू
रैणी गांव में बीते रविवार को आए जलजले में मलारी को जोड़ने वाला वाहन पुल बह गया है और सड़क में हजारों टन मलबा जमा हो गया है। रैणी में रेस्क्यू और नए पुल निर्माण आदि का जिम्मा बीआरओ के शिवालिक प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर एएस राठौर ने संभाल रखा है। चीफ इंजीनियर राठौर ने बताया कि यहां पर मलबा हटाने और नई सड़क और वैली ब्रिज बनाने का कार्य चल रहा है। इसमें अभी कुछ दिन लग सकते हैं।
एसडीआरएफ कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने कहा कि मलबे को हटाकर किसी भी तरह रास्ता बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द से जल्द इसमें कामयाबी मिल जाएगी। सब कुछ ठीक रहा तो कुछ समय में हम भीतर फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लेंगे।