हिंदू देवी-देवताओं को लेकर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने और पेशी वारंटों पर रोक के बाद भी कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी की शनिवार देर रात इंदौर की केंद्रीय जेल से रिहाई की राह कतई आसान नहीं रही। वह पिछले 35 दिन से न्यायिक हिरासत के तहत इस जेल में बंद थे और उन्हें बेहद नाटकीय घटनाक्रम के दौरान रिहा किया गया। जेल प्रशासन के एक आला अधिकारी ने रविवार को कहा कि इंदौर के एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के फोन के बाद फारुकी के मामले में शीर्ष अदालत का शुक्रवार को पारित आदेश अदालत की वेबसाइट से निकालकर देखा गया और इसके आधार पर शनिवार देर रात युवा हास्य कलाकार को जेल से रिहा गया।
केंद्रीय जेल के अधीक्षक राकेश कुमार भांगरे ने पीटीआई से कहा, ‘हमें इंदौर के एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का शनिवार रात फोन आया। उन्होंने हमसे कहा कि अगर हमें फारुकी के मामले में शीर्ष अदालत का शुक्रवार को पारित आदेश किसी आधिकारिक जरिये से नहीं मिला है, तो हम इस न्यायालय की वेबसाइट से यह आदेश निकाल सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने शीर्ष अदालत की वेबसाइट से यह आदेश निकाला जिसमें कहा गया था कि फारुकी के खिलाफ जारी पेशी वॉरटों पर रोक लगा दी गई है। इसके आधार पर फारुकी को शनिवार देर रात रिहा किया गया।’
यह पूछे जाने पर कि फारुकी के बहुचर्चित मामले में शीर्ष अदालत की वेबसाइट से यह आदेश क्या पहले नहीं निकाला जा सकता था, जेल अधीक्षक ने कहा, ‘चूंकि मामला संवेदनशील है और हम इस बात का इंतजार कर रहे थे कि हमें किसी आधिकारिक जरिये से यह आदेश प्राप्त हो जाए। फारुकी की रिहाई के मामले में इसलिए ये हालात बने।’ गौरतलब है कि इस आदेश के तहत उच्चतम न्यायालय ने फारुकी को इंदौर में दर्ज मामले में अंतरिम जमानत दे दी थी। इसके साथ ही धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के ही आरोप में उनके खिलाफ प्रयागराज में दर्ज मामले में वहां की एक निचली अदालत के जारी पेशी वॉरंट पर रोक भी लगा दी थी।
बहरहाल, केंद्रीय जेल प्रशासन प्रयागराज की एक अदालत के जारी पेशी वॉरंट का हवाला देते हुए फारुकी को रिहा किए जाने में शनिवार देर शाम तक असमर्थता जताता रहा, जबकि हास्य कलाकार के समर्थन में केंद्रीय जेल परिसर पहुंचे वकील शीर्ष अदालत के शुक्रवार को पारित आदेश का हवाला देकर हास्य कलाकार की तुरंत रिहाई पर जोर देते रहे।
फारुकी की रिहाई से चंद घंटों पहले स्थानीय वकील अशहर वारसी ने केंद्रीय जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली को निशाने पर लेते हुए शनिवार रात संवाददाताओं से कहा था, “उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद फारुकी को रिहा न कर केंद्रीय जेल प्रशासन ने अदालत की सीधी अवमानना की है।” वारसी ने यह भी कहा था कि वकीलों का दल इस विषय में परामर्श कर रहा है और फारुकी की तुरंत रिहाई के लिए उचित कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
केंद्रीय जेल के एक अन्य अधिकारी ने शनिवार शाम कहा था कि प्रयागराज की एक अदालत ने वहां दर्ज मामले में फारुकी को 18 फरवरी को पेश किए जाने को आदेश दिया है। उन्होंने जेल नियमावली का हवाला देते हुए दावा किया था कि उन्हें फारुकी को कारागार से रिहा करने के लिए प्रयागराज की अदालत या “किसी सक्षम प्राधिकारी” के आदेश की आवश्यकता होगी।
बहरहाल, बाद में इस जेल अधिकारी ने कहा कि मामले में शीर्ष न्यायालय का शुक्रवार को पारित आदेश कारागार प्रशासन को “उचित माध्यम से” प्राप्त हुआ जिसके आधार पर युवा हास्य कलाकार को शनिवार देर रात रिहा कर दिया गया। चश्मदीद लोगों ने बताया कि फारुकी की रिहाई की सूचना मिलते ही शनिवार देर रात जेल परिसर में मीडियाकर्मी भी जमा हो गए, लेकिन धार्मिक रूप से संवेदनशील मामले में गिरफ्तार हास्य कलाकार को इनकी नजर से बचाते हुए गुपचुप तरीके से जेल परिसर से बाहर निकाला गया।
इंदौर में एक जनवरी की रात दर्ज प्राथमिकी में धार्मिक भावनाएं आहत करने के मुख्य आरोप का सामना कर रहे गुजरात के हास्य कलाकार को शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को अंतरिम जमानत दे दी थी। मुनव्वर के वकीलों ने इंदौर की जिला अदालत में शनिवार को उच्चतम न्यायालय का आदेश प्रस्तुत कर जमानत की औपचारिकताएं पूरी कीं। स्थानीय अदालत ने 50,000 रुपये की जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके पर फारुकी को केंद्रीय जेल से रिहा करने का आदेश दिया।
हिन्दू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के आरोप में ही फारुकी के खिलाफ प्रयागराज के जॉर्ज टाउन पुलिस थाने में पिछले साल मामला दर्ज किया गया था। मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की स्थानीय विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ की शिकायत पर एक जनवरी को गिरफ्तारी के बाद फारुकी इंदौर की केंद्रीय जेल में बंद थे।
गौरतलब है कि जिला अदालत और इसके बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने फारुकी की जमानत अर्जियां दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खारिज कर दी थीं। इसके बाद हास्य कलाकार ने जमानत पर रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण ली थी। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय भाजपा विधायक के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ ने फारुकी और एक हास्य कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े चार अन्य लोगों के खिलाफ तुकोगंज थाने में एक जनवरी की रात मामला दर्ज कराया था। विधायक पुत्र का आरोप है कि शहर के एक कैफे में एक जनवरी की शाम आयोजित कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गोधरा कांड को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं।
हालांकि, फारुकी के स्थानीय वकील अंशुमान श्रीवास्तव दावा करते रहे हैं कि इन कथित टिप्पणियों को लेकर उनके मुवक्किल पर प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों का इंदौर के कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं है और उनकी पुरानी प्रस्तुतियों के विवादों को लेकर उनके खिलाफ राजनीतिक दबाव में स्थानीय स्तर पर मामला गढ़ा गया है।