सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि शिक्षा एवं नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने से संबंधित महाराष्ट्र के 2018 के कानून को लेकर दायर याचिकाओं पर वह आठ मार्च से अदालत कक्ष के साथ ही ऑनलाइन, दोनों तरीके से सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि यदि शीर्ष न्यायालय में अदालत कक्ष में सुनवाई शुरू होती है तो पक्षकार प्रत्यक्ष रूप से दलीलें दे सकते हैं और यदि कोई डिजिटल माध्यम से दलील देना चाहता है तो इसकी भी इजाजत है।
वर्तमान में शीर्ष न्यायालय में सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की जा रही है। कोविड-19 महामारी के कारण यह व्यवस्था पिछले वर्ष मार्च से चल रही है तथा न्यायालय डिजिटल तथा प्रत्यक्ष दोनों ही तरीके से सुनवाई जल्द ही बहाल कर सकता है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी पीठ का हिस्सा हैं। पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर भी दलीलें सुनेगी कि इंदिरा साहनी मामले में ऐतिहासिक फैसला जिसे मंडल फैसला के नाम से जाना जाता है उस पर पुन: विचार करने की आवश्यकता है या नहीं।
इससे पहले, 20 जनवरी को महाराष्ट्र सरकार ने पीठ से कहा था कि इस किस्म के मामले (आरक्षण) पर सुनवाई अदालत कक्ष में की जानी चाहिए।