पश्चिम बंगाल में विधआनसभा चुनाव को देखते हुए सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। चुनाव से ठईक पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर यानी एनआरसी का राग छेड़ दिया है। अलिपुरद्वार में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने साफ शब्दों में कहा है कि वह कभी भी एनआरसी को लागू नहीं होने देगी।
ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा एनआरसी के नाम पर लोगों के बीच डर पैदा करना चाहती है। मैं पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करने की अनुमति कभी नहीं दूंगा। एनआरसी के अलावा सीएए को लेकर भी सियासी बयानबाजी जमकर बो रही है। बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, ‘CAA लागू करने के लिए राज्य की कोई आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार सक्षम है। अगर राज्य सहयोग देगा तो भी लागू करेंगे और नहीं देगा तो भी लागू करेंगे।’
बंगाल चुनाव में गूंज सकता है CAA का भी मुद्दा
एनआरसी के इतर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का मुद्दा भी बंगाल चुनाव में गूंजने की उम्मीद है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि सीएए के तहत नियमों को तैयार किया जा रहा है। सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। इस कानून के तहत इन समुदायों के के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी इन तीन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए। सीएए के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था।
इससे पहले पश्चिम बंगाल के दो दिनों के दौरे के अंतिम दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि संशोधित नागरिकता कानून के सिर्फ नियम बनना बाकी हैं। कोरोना वायरस की वैक्सीन बन जाने के बाद सरकार आगे विचार करेगी। बंगाल में रोड शो के आयोजन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शाह ने सीएए, बंगाल के अगले मुख्यमंत्री समेत कई मुद्दों पर खुलकर जवाब दिए थे। CAA को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा था, ”सीएए के अभी नियम बनना बाकी हैं। कोरोना वायरस महामारी के चलते यह नहीं हो सका है। जैसे ही वैक्सीन आ जाएगी, उसके बाद सरकार विचार करके जानकारी देगी।”