सूरज आया इक नया, गाने मंगल गीत !
प्रियवर अब दिल में सजे, केवल नूतन जीत !!
उसकी ही बस हार है, जो माना है हार !
साहस वाले का सदा, विजय करे श्रंगार !!
बीते के सँग छोड़ दो, मायूसी-अवसाद !
नवल बनेगा अब धवल, देगा मधुरिम याद !!
खट्टी-मीठी लोरियां, देकर गया अतीत !
वह भी था अपना कभी, था प्यारा सा मीत !!
जाते -जाते वर्ष यह, करता जाता नेह !
अंतर इसका जनवरी, भले दिसंबर देह !!
फिर से नव संकल्प हो, फिर से हो उत्थान !
फिर से अब जयघोष हो, हो फिर से नव गान !!
नया सूर्य ले आ गया, नया शौर्य,नव ताप !
लिये आप आवेग यदि, नहीं बनोगे भाप !!
नहीं शिथिलता हो कभी, नहीं चरण हों मंद !
गिरकर फिर आगे बढ़ो, काम नहीं हो बंद !!
एक जनवरी आ रही, सभी लिये उत्साह !
बात तभी बन पायगी, बनो वक़्त के शाह !!
दोस्त,मित्र,बंधू,सखा, रक्खो सँग नववर्ष !
मिले तुम्हें खुशियां “शरद”, मिले सुखद नव हर्ष !!
प्रो. शरद नारायण खरे
विभागाध्यक्ष इतिहास
शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय
मंडला(म.प्र.)-481661
ई मेल–khare.sharadnarayan@ gmail.com