पश्चिम बंगाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में ‘जय श्री राम’ के नारों से चिढ़ीं ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस आज विधानसभा में निंदा प्रस्ताव ला सकती है। बीते दिनों आधिकारिक कार्यक्रम में पीएम मोदी की मौजूदगी में ममता बनर्जी के मंच पर आते ही जय श्री राम के नारे लगाए गए थे, जिससे ममता बनर्जी खफा हो गई थीं। अब उम्मीद की जा रही है कि आज इसके खिलाफ में निंदा प्रस्ताव लाया जा सकता है। हालांकि, कांग्रेस और माकपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस निंदा प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे।
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, कांग्रेस और माकपा ने बुधवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाये जाने के खिलाफ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा विधानसभा में लाये जाने वाले निंदा प्रस्ताव का वे समर्थन नहीं करेंगे। दोनों दलों के नेताओं ने कहा कि अगर यह प्रस्ताव लाया जाता है तो दोनों दल तब तक इसका समर्थन नहीं करेंगे जब तक कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं प्रदेश में संविधान एवं विपक्ष का सम्मान सुनिश्चित नहीं करती हैं ।
कब चिढ़ गई थीं ममता
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में ‘जय श्री राम’ के नारे लगने के बाद तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में समारोह को संबोधित करने से मना कर दिया था। कांग्रेस ने ममता बनर्जी का समर्थन करते हुये कहा था कि इस तरह नारेबाजी करना मुख्यमंत्री का अपमान है जबकि माकपा ने इसे राज्य के लिये अपमान जनक करार दिया था।
बुधवार से शुरू हुआ विशेष सत्र
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुधवार को शुरू हुआ और सदन ने दिवंगत विधायकों और अन्य महत्वपूर्ण लोगों को श्रद्धांजलि दी। तृणमूल कांग्रेस केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आज यानी गुरुवार को प्रस्ताव लाएगी और उन्हें तत्काल वापस लिये जाने की मांग करेगी।
आज कृषि कानूनों के खिलाफ भी प्रस्ताव
प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि दूसरे दिन नियम 169 के तहत प्रस्ताव पेश किया जाएगा। प्रदेश सरकार की कोशिश थी कि विपक्षी कांग्रेस व वाम मोर्चा को भी इस मुद्दे पर साथ लाया जा सके लेकिन वे नियम 185 के तहत प्रस्ताव लाने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने ममता सरकार के तहत 2014 में लाए गए एक और कृषि कानून को भी निरस्त किये जाने की मांग की। नियम 169 के तहत सरकार विधानसभा में प्रस्ताव पेश करती है जबकि नियम 185 के तहत कोई भी दल सदन में प्रस्ताव पेश कर सकता है।