नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों पर केंद्र सरकार के बीच जारी गतिरोध अभी थमता नजर नहीं आ रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की तरफ से 10वें दौर की वार्ता के दौरान कानूनों के क्रियान्वयन को डेढ़ साल तक के लिए टालने के प्रस्ताव को गुरुवार को अस्वीकार कर दिया है। सरकार की तरफ से कहा गया था कि 1.5 साल तक कानून के क्रियान्वयन को स्थगित किया जा सकता है। इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करके समाधान ढूंढ सकते हैं। सभी किसानों ने तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को फिर दोहराया।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि मोर्चा द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि सरकार के किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि वे कानूनों को रद्द नहीं करती। सरकार के साथ कल की बैठक में हम कहेंगे कि हमारी केवल एक मांग है, कानूनों को रद्द करना और एमएसपी पर कानून बनाना। इन सभी को सर्वसम्मति से तय किया गया है।
कल होगी 11वें दौर की बैठक
जानकारी के अनुसार, किसान संगठनों और केंद्र सरकार की बुधवार को हुई 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए इन कानूनों को डेढ़ साल तक टालने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में विचार किया गया। शुक्रवार को 11वें दौर की बैठक में किसान सरकार को अपने फैसले से अवगत कराएंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कल कहा था कि किसान संगठनों के साथ बेहद सकारात्मक बातचीत हुई। चर्चा के दौरान, हमने कहा कि सरकार एक या डेढ़ साल के लिए कृषि कानूनों को रखने के लिए तैयार है। मुझे खुशी है कि किसान यूनियनों ने इसे बहुत गंभीरता से लिया है और कहा है कि वे कल इस पर विचार करेंगे और 22 जनवरी को अपना फैसला बता देंगे। तोमर ने कहा कि मुझे लगता है कि वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ रही है और 22 जनवरी को एक प्रस्ताव मिलने की संभावना है। बैठक के दौरान सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकालने पर निर्णय नहीं
वहीं, दिल्ली में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर ट्रैक्टर परेड निकालने को लेकर गुरुवार को किसान संगठनों और पुलिस के बीच कोई निर्णय नहीं हो सका। कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 57 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालने पर अड़े हैं। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि पुलिस ने उन्हें गणतंत्र दिवस के कारण राजधानी में घुसने से मना किया है, जबकि वे दिल्ली में रैली निकालना चाहते हैं। पुलिस की ओर से किसानों को कुंडली- मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे पर रैली निकालने का प्रस्ताव दिया है, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया है। बैठक के बाद किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने कहा कि आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड की अनुमति देना मुश्किल है और सरकार भी इसके लिए तैयार नहीं है, लेकिन किसानों ने कह दिया है कि वे रिंग रोड पर ही परेड करेंगे। पुलिस और किसानों के बीच फिर कल बैठक होगी। वहीं, किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि 26 जनवरी का कार्यक्रम अटल है और यह हर हाल में होगा। दिल्ली पुलिस किसानों के ट्रैक्टर परेड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गई थी, लेकिन कोर्ट ने इस संबंध में कोई आदेश देने से मना कर दिया था और कहा था कि यह पुलिस के अधिकार क्षेत्र में हैं।
किसानों का आंदोलन 57वें दिन भी जारी
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 57वें दिन भी जारी है। केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।