उत्तर प्रदेश के बदायूं में गैंगरेप और बर्बर हत्या की वारदात ने लोगों को अंदर तक हिलाकर रख दिया है लेकिन इतनी बड़ी वारदात के बाद भी यूपी पुलिस का जो रवैया सामने आया उसने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के बाद पुलिस जिस मायावी महंत सत्यनारायण की कहानी पर चल रही थी, वो पुलिस को बहला रहा था और पुलिस बहल भी रही थी। उस मायावी महंत का खौफनाक चेहरा सामने आने के बाद भी पुलिस उसे तुरंत गिरफ्तार नहीं कर पाई। महंत की तलाश में पुलिस की चार टीमें लगी हुई थीं। बदायूं के अलावा कई दूसरे जिलों और प्रदेशों में छापेमारी चल रही थी लेकिन इन सबके बीच महंत उघैती थाना क्षेत्र के ही गांव में छिपा रहा।
अंतत: उसकी गिरफ्तारी में भी पुलिस का सूचना तंत्र काम न आया। गुरुवार देर रात पुलिस ने उसे गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन असल में उसे पकड़ा गांववालों ने। महंत को पकड़कर ग्रामीणों ने ही उसे पुलिस को सौंपा। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे आरोपी महंत की गिरफ्तारी के दौरान के एक वीडियो में पुलिस के दो कॉन्स्टेबल उसे बाइक पर बिठाकर ले जाते हुए दिख रहे हैं। लोगों का कहना है कि वारदात के बाद सत्यनारायण पड़ोस के ही गांव में छिपा रहा। जाहिर है कि उससे पूछताछ में हैवानियत की हदें पार कर देने वाली इस घटना में कुई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते हैं।
पनाह देने वाला कौन
महंत सत्यनारायण की उघैती थाना क्षेत्र से ही गिरफ्तारी के बाद पुलिस के सूचना तंत्र और उसकी कार्यशैली पर तो सवाल उठ ही रहे हैं सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतनी बड़ी जघन्य वारदात के बाद चार दिन तक उसे पनाह किसने दी। पुलिस ने महंत सत्यनारायण के सिर पर 50 हजार रुपए का इनाम भी रखा था। उसकी तलाश में प्रदेश के कई जिलों और दूसरे प्रदेशों में भी दबिश दी जा रही थी। इसके बावजूद वह पड़ोस के ही गांव में चार दिन छिपा रहा तो जाहिर है किसी न किसी ने उसे पनाह दी होगी। अब सवाल यह है कि ऐसे जघन्य वारदात के आरोपी को शरण देने वाला कौन है? सत्यनारायण से पूछताछ में इस सवाल का जवाब हासिल कर उस शरणदाता को भी सीखचों के पीछे पहुंचाना पुलिस की साख के लिए अब जरूरी हो गया है।
मदद पहुंचाते रहे अनुयायी
वैसे महंत की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने भी स्वीकार किया है कि वह ग्रामीणों के सहयोग से आरोपी को पकड़ पाई। पुलिस के मुताबिक वारदात के बाद से महंत किसी के घर की बजाए खेतों में छिपा रहा। उसके अनुयायी उस तक खाने-पीने की चीजें पहुंचाते रहे। आईजी रेंज राजेश पांडेय ने कहा है कि आरोपी को उघैती में धर्म स्थल के पास से ही गिरफ्तार किया गया। ऐसे में पुलिस के लिए सत्यनारायण से पूछताछ कर उन अनुयायियों को भी कानून की गिरफ्त में लाने की चुनौती है जो एक इनामी फरार अपराधी की मदद कर रहे थे।
पीड़िता के साथ हुई थी दिल दहलाने वाली बर्बरता
तीन जनवरी की रात पीड़िता के साथ दिल दहलाने वाली बर्बरता हुई थी। दरिंदों ने गैंगरेप के बाद उसके शव को छत विक्षत कर डाला था। हड्डी पसली तोड़ डाली थी। प्राइवेट पार्ट में रॉड तक डाल दिया था। इतनी बड़ी वारदात के बाद पुलिस ने जो किया, वो तो और भी शर्मनाक था।
महिला आयोग की सदस्य बोलीं-पुलिस चाहती तो न गैंगरेप होता, न महिला की जान जाती
गुरुवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी बदायूं पहुंची। उन्होंने पीड़िता के परिवार से मुलाकात से पहले एसएसपी के साथ बैठक कर पूरे मामले की जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और दु:ख-दर्द सुना। वहां से वह घटना स्थल पर पहुचीं। लोगों और अधिकारियों से घटना की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि पूरे मामले में पुलिस की लापरवाही हुई है। जिसकी वजह से महिला के साथ दरिंदगी हुई है। अगर पुलिस चाहती तो घटना व महिला की जान बच सकती थी। उघेती की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसमें हम पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि अगर पुलिस चाहती तो महिला की जान बच सकती थी और घटना होने से भी बच सकती थी लेकिन पुलिस हादसा दिखाने के लिए लीपापोती करती रही। महिला 18 घंटे पड़ी रही। पुलिस ने एफआईआर लिखने में देरी की। महिला को जिला अस्पताल समय से नहीं पहुंचाया। आरोपियों पर समय से करवाई नहीं की गई। जिसकी वजह से इतनी बड़ी घटना हो गई। पुलिस की सक्रियता होती तो इतनी बड़ी और दरिंदगी वाली घटना नहीं होती। कहा कि महिलाओं को लेकर सरकार तो गंभीर है। मिशन शक्ति जैसे अभियान भी चल रहे हैं मगर इसका इन दरिंदों पर कोई असर नहीं है। भले ही ऐसे मामलों में कार्रवाई होती है मगर फिर भी घटनाओं पर अंकुश नहीं लग रहा है। चंद्रमुखी देवी ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ शुरू से ऐसी घटनाओं के सख्त खिलाफ हैं। हमें विश्वास है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।