स्कूल के भारी बस्तों का वजन अब छात्रों को परेशान नहीं करेगा। स्कूल बैग नीति 2020 के तहत प्राइमरी, सेकेंड्री और सीनियर सेकेंड्री कक्षाओं के बच्चों के स्कूली बस्ते के वजन को कम किया गया है। यह नीति दिल्ली में लागू होने जा रही है, जिसके तहत अब स्कूली बस्ते का वजन अधिकतम पांच किलो होगा। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय ने अपने अधीन सभी स्कूलों के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
शिक्षा निदेशालय ने जारी दिशा-निर्देशों में अधीन सभी स्कूलों को निर्देशित किया है कि स्कूली बस्ते का वजन कम करने लिए स्कूल को एससीईआरटी, एनसीईआरटी सीबीएसई की तरफ से निर्धारित किताबों को लागू करना होगा। जबकि संबंधित एजेंसी की तरफ से कक्षाओं के अनुरूप निर्धारित किताबों की संख्या के अनुरूप किताबें बस्ते में नहीं होनी चाहिए। साथ ही स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों को इसके लिए एक अच्छी समय सारिणी को तैयार करनी होगा। जिससे बच्चों को हर दिन बहुत सी किताबें या नोटबुक नहीं ले जाना पड़े।
प्री प्राइमरी की कोई पाठ्यपुस्तक नहीं, कक्षा 2 तक नहीं मिलेगा होमवर्क
स्कूल बैग नीति 2020 के तहत प्री प्राइमरी यानी नर्सरी और केजी कक्षा के बच्चों को स्कूल में कोई भी पाठ्यपुस्तक नहीं लानी होगा। जबकि पहले और कक्षा दो के बच्चे एक पाठ्यपुस्तक बस्ते में स्कूल ला सकते हैं। वहीं, इन सभी कक्षाओं के बच्चों को स्कूल की तरफ से कोई भी होमवर्क नहीं दिया जाएगा।
छात्रों को दोनों कंधों पर टांकना होगा स्कूल बस्ता
शिक्षा निदेशालय ने जारी निर्देशों में स्कूल बस्ते के प्रकार और उसके टांकने को लेकर भी एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत स्कूलों को कहा गया है कि वह अभिभावओं और छात्रों को हल्के, गद्देदार और दोनों कंधों पर सामान भार वितरण पट्टियों वाले बस्ते के बारे में बताएं। साथ ही छात्रों को कहा गया है कि वह स्कूल बस्ते ले जाते समय उसे दोनों कंधों पर सामान रूप से टांके। अगर छात्रों को प्रार्थना सभा या स्कूल के लिए इंतजार करना पड़ रहा है, तो वह उसे नीचे उतार दें।
बच्चों को घर से नहीं ले जानी होगी पानी की बोतल
स्कूल बैग नीति के तहत बच्चों के लिए गुणवत्ता पूर्ण और पर्याप्त पानी की व्यवस्था करना स्कूलों की जिम्मेदारी होगी। ऐसे में बच्चों को घर से पानी की बोतल ले जाने से परहेज करना होगा।
बस्ते की जांच करना शिक्षकों की जिम्मेदारी
स्कूल बैग नीति 2020 के जारी दिशा-निर्देशों में शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि छात्रों के बस्ते की जांच करने की जिम्मेदारीश शिक्षों को लेनी होगी। इसके तहत तीन महीने में एक बार बस्ते की जांच करनी होगी। भारी बस्ता होने पर इसकी जानकारी अभिभावकों को बताते हुए उन्हें इसके नुकसान से अवगत कराना होगा। साथ ही शिक्षक अभिभावक एक या दो सप्ताह के लिए बच्चे के बस्ते की जांच करने के लिए अभिभावकों से कहेंगे।