राजधानी दिल्ली में दहेज हत्या के एक मामले में संबंधित थाने के जांच अधिकारी की लापरवाही पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने कहा है कि पुलिस का यह रवैया बेहद अफसोसजनक है। पुलिस कर्मी की जिम्मेदारी प्रत्येक मुकदमे की सुनवाई पर अदालत में उपस्थित होने की होती है अथवा अगर किसी कारण से जांच अधिकारी हाजिर होने में असमर्थ होता है तो उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह वजह के साथ इसकी जानकारी अदालत तक पहुंचाए। यदि वह ऐसा नहीं करता तो उसके खिलाफ सख्त रुख अपनाना जरूरी होता है। इसी के तहत जांच अधिकारी (पुलिसकर्मी) के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए जाते हैं।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रघुवीर सिंह की अदालत ने दहेज हत्या के मामले के जांच अधिकारी के खिलाफ 2 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया है। साथ ही अदालत ने जांच अधिकारी को इस मामले की अगली सुनवाई पर हर हाल में पेश होने और कारण बताने को भी कहा है। अदालत ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि पुलिस कर्मियों या मुकदमे के किसी भी पक्षकार के इस तरह के रवैये की वजह से अगर अदालत की सुनवाई टलती है तो प्रत्येक सुनवाई पर सरकारी खजाने को नुकसान होता है। कम से कम सरकारी कर्मचारी से तो इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं की जाती। उन्हें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होना चाहिए, लेकिन आए दिन इस तरह के हालात का सामना अदालत को करना पड़ता है। इतना ही नहीं अदालती चेतावनी के बावजूद सुनवाई को बार-बार टलवाया जाता है।
पेश मामले में जुलाई 2020 में एक महिला अपने ससुराल में मृत पाई गई थी। महिला के परिवार वालों ने उसके ससुराल वालों पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने एवं दहेज हत्या का आरोप लगाया है। इसी मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई पर जांच अधिकारी पेश नहीं हुआ, जिसके बाद वारंट जारी किए गए।