नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने 12 साल की बच्ची के साथ बार-बार दुष्कर्म करने के मामले में एक निजी सुरक्षा गार्ड को दोषी करार देते हुए 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला वर्ष 2021 का है। अदालत ने कहा कि अपर्याप्त सजा देकर दोषी के प्रति अनुचित सहानुभूति दिखाने से आपराधिक न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचेगा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने 32-वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ सजा पर बहस के दौरान कहा कि अपर्याप्त सजा देकर दोषी के प्रति अनुचित सहानुभूति दिखाने से आपराधिक न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचेगा। आरोपी व्यक्ति को इस महीने की शुरुआत में दुष्कर्म के दंडात्मक प्रावधानों और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा छह (गंभीर यौन हमला) के तहत दोषी ठहराया गया था।
अतिरिक्त लोक अभियोजक योगिता कौशिक दहिया ने कहा कि दोषी को मार्च 2021 में लड़की का अपहरण करने, बार-बार यौन उत्पीड़न करने और धमकी देने के घृणित कृत्य के लिए किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं माना जा सकता। पंद्रह अप्रैल के अपने फैसले में अदालत ने 2015 के उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला दिया, जिसके अनुसार, ‘‘अपर्याप्त सजा देकर अनावश्यक सहानुभूति दिखाने से कानून के प्रभाव के प्रति जनता का विश्वास कम हो जाएगा और न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान पहुंचेगा।”