दिल्ली के कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने का दिसंबर 2024 की समय-सीमा फिर बढ़ने के आसार है क्योंकि परिस्थितियां नहीं बदली तो इस दिशा में चल रहा काम मई 2024 में ही बंद हो जाएगा।
इन सभी कंपनियों के कार्यावधि मई 2024 में पूरी हो रही है। ऐसे में निगम इस कार्य के लिए बिना नई निविदा और कार्यादेश जारी किए इस काम को पुन: शुरू नहीं कर पाएगा। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थायी समिति का गठन होना है, क्योंकि निगम निविदा मंगा भी लेगा तो एजेंसी के चयन के लिए स्थायी समिति की मंजूरी की जरुरत होगी।
दिल्ली नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चूंकि इस कार्य में राशि बहुत बड़ी होती है। इसलिए न केवल निविदा जारी करने के बाद स्थायी समिति की मंजूरी की जरुरत होगी बल्कि कार्यदेश जारी करने के लिए भी समिति की मंजूरी की जरुरत होगी।
अधिकारी ने बताया कि हमने 30 लाख टन कूड़ा इन पहाड़ों से हटाने के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी की थी लेकिन एजेंसी के चयन स्थायी समिति न होने की वजह से इस निविदा प्रक्रिया के कार्यदेश नहीं जारी कर पाया। इतना ही नहीं इस निविदा की वैद्यता भी खत्म हो चुकी है।
तीनों लैंडफिल पर पड़ा है 203 लाख मीट्रिक टन कूड़ा
दिल्ली नगर निगम में तीन प्रमुख कूड़े के पहाड़ हैं। इसमें भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल है। इन तीनों लैंडफिल पर 203 लाख मीट्रिक टन कूड़ा पड़ा हुआ है।
क्या है निगम का प्लान?
अब तक भलस्वा में 31.5 लाख मीट्रिक टन, ओखला में 19 लाख मीट्रिक टन और गाज़ीपुर में केवल 6.96 लाख टन पुराने पड़े कचरे का निस्तारण ट्रामल मशीनों के माध्यम से किया गया है। निगम की योजना था कि 30-30 लाख मीट्रिक टन कचरे के लिए निस्तारण के लिए नई निविदा जारी कर उसका कार्यादेश जारी किए जाए लेकिन स्थायी समिति के गठन के चलते यह कार्य हो नहीं पाएगा।